श्रीरामलला के अलौकिक रूप देख श्रद्धालु हुए मंत्रमुग्ध, भक्तों की उमड़ी भीड़

पहले दिन लगभग 20 लाख श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान

अयोध्या : रोम-रोम में श्रद्धा-भक्ति-विश्वास… आस्था पथ पर बढ़ते रामभक्त, जय-जय श्रीराम के उद्घोष, ऐसा भक्तिमय माहौल और अद्भुत नजारा आज रामलला दरबार का है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंगलवार को दर्शन का पहला दिन है। आम लोगों के लिए जब मंदिर खोला गया तो लोगों में पहले अंदर जाने के लिए होड़ सी मच गई।श्रद्धालुओं के जयघोष से पूरी अयोध्या एवं श्रीराम मंदिर परिसर राममय है। रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। पहले दिन लगभग 20 लाख श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान है।

 

– गूंज उठे जय-जय श्रीराम के जयकारे

– रामलला के महल का चमक रहा है कोना-कोना

अयोध्या में रामलला के अलौकिक स्वरूप को देखकर ऐसा अहसास हो रहा है जैसे ब्रह्मानंद की प्राप्ति हो रही हो। श्रद्धालु रामलला का ‘रत्न जड़ित करुना सुख सागर श्रीराम’ के अलौकिक स्वरूप में दर्शन कर निहाल और विह्वल हो रहे हैं। अद्भुत, अलौकिक, अविस्मरणीय जैसे तमाम शब्द अखिल ब्रह्मांड के राजा प्रभु श्रीराम के नए महल की शोभा के आगे फीके से लग रहे हैं। एक-एक कोना चमक रहा है, जिधर नजर घुमाओ बस चमक ही चमक है। जिस तरह त्रेतायुग में राजा दशरथ का महल हुआ करता था, कलयुग का भी भव्य राम मंदिर वैसे ही नजर आ रहा है। अपने आराध्य देव की मनोहारी छवि देख रामभक्तों के नयन छलक उठे। समवेत स्वर में जय-जय श्रीराम की गूंज होने लगी।

अद्भुत, अलौकिक, अविस्मरणीय… श्रद्धालु मंत्रमुग्ध

रामलला की अद्भुत मूर्ति चेहरे पर मुस्कान भगवान राम की विनम्रता और मधुरता के बारे में बता रही थी। पहली नजर में रामलला की यह मूर्ति देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर दे रही थी। आस्था और अध्यात्म की झलक इस मूर्ति से झलक रही थी, जो पहली ही नजर में रामभक्तों को आकर्षित कर रही थी। भगवान राम के मस्तक पर लगा तिलक सनातन धर्म की विराटता का प्रतीक, जो देखने वालों को भक्ति की एक अलग दुनिया में ले जाता है। मूर्ति में ऊं, गणेश, चक्र, शंख, गदा और स्वास्तिक की आकृति बनी हुई है। नीले-श्यामल रंग के पत्थर से बनी मूर्ति में रामलला का विहंगम रूप दिखाई दे रहा था। रामलला के चारों तरफ आभामंडल है। सिर पर सूर्य बना हुआ है। दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। आभामंडल में नीचे हनुमानजी की मूर्ति व भगवान विष्णु के 10 अवतार के साथ सनातन धर्म के प्रतीक चिह्न बनाए गए हैं।

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