Bengal : माणिक भट्टाचार्य की संपत्तियां कुर्क करने का आदेश

कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने आदेश दिया

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस विधायक और प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य की सभी संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को यह निर्देश जारी किया। हाईकोर्ट के निर्देश पर ईडी माणिक भट्टाचार्य की देश-विदेश में मौजूद सभी संपत्तियों को जब्त करेगा।

हाईकोर्ट ने माणिक भट्टाचार्य पर लगाये गये 7 लाख रुपए का जुर्माना नहीं चुकाने पर कड़ी नाराजगी जताई और ईडी को उनकी सभी संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया।

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बता दें, इससे पहले अदालत ने माणिक भट्टाचार्य पर दो अलग-अलग मामलों में 2 लाख और 5 लाख रुपये कुल 7 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, लेकिन माणिक ने वह जुर्माना नहीं भरा था और न ही कोर्ट में कोई आवेदन किया। इसके बाद हाईकोर्ट ने उनकी सभी संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने 25 जनवरी को अपने आदेश में जेल में बंद टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य पर पहले 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, लेकिन जब उन्होंने उसे नहीं चुकाया तो उनके खिलाफ 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
क्या था मामला 
मालूम हो कि साल 2017 टीआईटी अभ्यर्थी साहिला परवीन ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अपनी ओएमआर शीट के लिए आवेदन किया था। उन्होंने यह आवेदन तय राशि से किया था, हालांकि उन्होंने शिकायत की कि प्राथमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा उन्हें उचित ओएमआर शीट नहीं दी गई थी।

इसलिए बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य पर हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाया था और 2 सप्ताह के अंदर पैसा जमा करने का आदेश दिया गया था, लेकिन तय समय में माणिक भट्टाचार्य ने न तो जुर्माना चुकाया और न ही आवेदन किया।

बता दें, इसके पहले माणिक भट्टाचार्य पर प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में धांधली का आरोप लगा था। उसके बाद पहले उन्हें सीबीआई ने और फिर बाद में ईडी ने गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह अपने बेटे के साथ जेल हिरासत में हैं।

इसके पहले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा था कि प्रत्येक अभ्यर्थी को अपना परीक्षा परिणाम जानने का अधिकार है क्योंकि वह उसका अधिकार है कि वह यह जाने कि उसके कितने अंक मिले हैं। माला रानी साल 2014 की टीआईटी परीक्षा में बैठी थी, लेकिन उसे जानकारी नहीं थी कि वह परीक्षा में पास हुई है या नहीं।

उसने आवेदन भी किया था, लेकिन बोर्ड की ओर से इसका जवाब नहीं मिला। बोर्ड के शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति का दायित्व है कि यह जानकारी उन्हें मुहैया कराये, लेकिन माणिक भट्टाचार्य ने ऐसा नहीं किया है। इस कारण जुर्माना लगाया गया था।

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