Birsa Zoo में दर्शकों को लुभाएगी Butterfly

Ranchi : भगवान बिरसा जैविक उद्यान  में पूर्वी भारत का सबसे बड़ा ‘खुला तितली उद्यान’जल्द ही आम लोगों के लिए खोला जाएगा। रांची शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर बिरसा चिड़ियाघर के रूप में लोकप्रिय बीबीबीपी के परिसर में यह उद्यान ‘एक्वैरियम’ के ठीक सामने 19 एकड़ भूमि पर निर्मित किया गया है। सूत्रों के अनुसार बिरसा चिड़ियाघर के निदेशक जब्बार सिंह ने कहा कि तितली प्रेमियों को मनोरंजन के साथ-साथ शैक्षिक मूल्य प्रदान करने के उद्देश्य से इस उद्यान के पहले चरण का काम दो करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से लगभग पूरा हो चुका है।

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बिरसा चिड़ियाघर के निदेशक जब्बार सिंह ने बताया कि उद्यान में कुछ सौंदर्यीकरण और अन्य कार्य अभी जारी हैं। इसे एक-दो महीने में जनता के लिए खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि उद्यान को हरे-भरे क्षेत्र में विकसित किया गया है, जो आगंतुकों को पारिस्थितिकी में तितलियों के महत्व के बारे में जागरूक करने में मदद करेगा। निदेशक ने कहा कि अच्छी संख्या में तितलियों की उपस्थिति आदर्श प्राकृतिक वातावरण का सूचक है। वन्यजीव विशेषज्ञों ने कहा कि रांची, धनबाद और जमशेदपुर जैसे शहरी क्षेत्र वाहनों और उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण प्रदूषित हैं। इसलिए इस बाधा को कम करने के लिए तितली या पारिस्थितिकी उद्यान जैसे विषयगत उद्यान समय की मांग हैं। जब्बार सिंह ने कहा कि झारखंड में तितलियों की 75 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं और उद्यान में अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा ताकि तितलियां प्राकृतिक रूप से विकसित हो सकें।

चिड़ियाघर प्राधिकरण झारखंड में पाई जाने वाली अधिकांश प्रजातियों जैसे ट्वनी कोस्टर, सार्जेंट, बुश ब्राउन, बैरोनेट, प्लेन टाइगर, लेमन पैंसी, कॉमन सेलर और अन्य को उद्यान में रखने की कोशिश करेगा। एक अधिकारी ने कहा कि उद्यान के पहले चरण को पूरा करने में करीब छह साल लग गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास ने 29 जून, 2017 को उद्यान का शिलान्यास किया था। हालांकि, इस परियोजना पर काम की शुरुआत वर्ष 2020 में हुई। जानकारी अनुसार उन्होंने कहा कि इसके बाद कोविड-19 महामारी के कारण भी इस परियोजना में देरी हुई। तितली उद्यान के रखरखाव पर सालाना 25 लाख रुपये का खर्च आएगा। रांची के ओरमांझी क्षेत्र में 104 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस जैविक उद्यान में करीब 1,450 जानवर हैं जो स्तनधारियों, सरीसृपों और पक्षियों की 83 प्रजातियों से संबंधित हैं।