निकाय भर्ती भ्रष्टाचार की CBI जांच बरकरार

हाईकोर्ट में ममता सरकार को झटका !

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट में ममता बनर्जी की सरकार को शुक्रवार को झटका लगा। हाईकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने निकाय भर्ती भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच बहाल रखने का आदेश दिया है।

न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने निकाय भर्ती भ्रष्टाचार जांच की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे, अब शुक्रवार को देखा गया कि न्यायाधीश अमृता सिन्हा की कोर्ट ने भी उसी आदेश को बरकरार रखा।

उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तृणमूल नेता अयान शील के घर की तलाशी के दौरान निकाय भर्ती में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।

ईडी ने अदालत को बताया था कि सॉल्टलेक में अयान शील के कार्यालय से बरामद दस्तावेजों से पता चलता है कि बंगाल की कम से कम 60 नगर पालिकाओं में बड़े पैमाने पर भर्ती में भ्रष्टाचार हुआ।

इस मामले में न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने सीबीआई को एक अलग प्राथमिकी दर्ज करने और जांच शुरू करने का निर्देश दिया था, लेकिन राज्य सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद इसमें थोड़ी रूकावट आ गयी। इस मामले में बेंच बदली गयी थी।

यह मामला न्यायाधीश अमृता सिन्हा की बेंच को भेजा गया। राज्य सरकार ने सीबीआई जांच खारिज करने की याचिका दायर की थी। इस आदेश के बाद कई लोगों का मानना ​​है कि यह राज्य सरकार के लिए झटका है।

वकील विक्रम बनर्जी ने कहा, राज्य सरकार की सभी नियुक्तियों में भ्रष्टाचार हुआ है। राज्य पुलिस इस मामले की जांच नहीं कर पायेगी, क्योंकि इसमें कई प्रभावशाली लोगों के नाम शामिल हैं। मामला भ्रष्टाचार से संबंधित है। इसलिए सीबीआई जांच के आदेश दिये गये हैं।

बता दें, ईडी जांच में अयान शील की अपार संपत्ति का पता लगा था। कुल मिलाकर केंद्रीय एजेंसी का दावा है कि यह रकम साढ़े 300 करोड़ से ज्यादा है। पेट्रोल पंप के अलावा  न्यूटाउन, साउथ कोलकाता, ईस्ट कोलकाता, उत्तरपाड़ा, चंदननगर व  चुंचुड़ा में भी काफी फ्लैट मिले हैं।

अयान की पत्नी, बेटा, बेटे की प्रेमिका- सभी को केंद्रीय एजेंसी ने बुलाकर पूछताछ की है। अयान की करीबी मानी जाने वाली मॉडल श्वेता चक्रवर्ती से भी पूछताछ की गयी है।

इधर, हाईकोर्ट द्वारा निकाय भर्ती भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच बरकरार रखे जाने का स्वागत करते हुए प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, हमने कहा था न्यायाधीश भले ही बदल जाये, कोई फर्क नहीं पड़ता।

स्वाभाविक रूप से पुराने फैसले को बरकरार रखा गया है। अधीर का दावा है कि तृणमूल कांग्रेस भ्रष्टाचार को स्वीकार कर रही है।

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