मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे को नई याचिका दायर करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक की याचिका वापस भेजी

कलकाता, सूत्रकार : सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के खिलाफ दायर याचिका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे व तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी की वापस भेज दी है।  शीर्ष अदालत के सहायक रजिस्ट्रार ने कहा कि अभिषेक की याचिका सुनवाई सूची में नहीं आएगी। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने पाया कि अभिषेक की याचिका का कोई तार्किक कारण नहीं है। तृणमूल नेता के वकील संजय बसु ने कहा कि शीर्ष अदालत ने मेरे मुवक्किल से दोबारा अपील करने को कहा है।

10 जनवरी को तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के जज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दरअसल जस्टिस गंगोपाध्याय की कुछ हालिया टिप्पणियों ने तृणमूल कांग्रेस में हलचल मचा दी थी और इससे वह नाराज थी। हाल ही में जस्टिस गंगोपाध्याय को हटाने की मांग वाला एक पत्र भी सुप्रीम कोर्ट को भेजा गया था।

इसी बीच हाई कोर्ट से निकलते वक्त जस्टिस गंगोपाध्याय मीडिया से रूबरू हुए और अभिषेक की संपत्ति का हिसाब-किताब और उसके स्रोत की जानकारी मांगी। इसे लेकर भी चर्चा तेज हो गई। सत्तारूढ़ दल के एक वर्ग ने न्यायाधीश की सार्वजनिक टिप्पणी की निंदा की। ऐसे में अभिषेक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट में पांच याचिकाएं की थीं दायर

तृणमूल महासचिव ने सुप्रीम कोर्ट में पांच याचिकाएं दायर की थीं। सबसे पहले, अभिषेक का आरोप है कि जज अदालत के अंदर या बाहरवादी और प्रतिवादी के बारे में तरह-तरह की टिप्पणियां करते हैं। यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि उन टिप्पणियों से किसी भी तरह से जांच प्रभावित न हो।

दूसरा, उन्होंने आरोप लगाया कि जज राजनीतिक प्रभाव में लंबित मामलों पर इंटरव्यू दे रहे हैं, जो न्यायपालिका के सिद्धांतों के खिलाफ है। सांसद ने अनुरोध किया कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को उस न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।

विशेष पीठ गठित करने का निर्देश देने की मांग

तीसरी याचिका में मांग की गई कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक विशेष पीठ गठित करने का निर्देश दिया जाए, जो भी मामले जस्टिस गंगोपाध्याय की बेंच में हैं, जो मामले उनकी बेंच से हटाकर दूसरी बेंच (जस्टिस अमृता सिंह की बेंच) के पास चले गए हैं, उन मामलों की सुनवाई उस विशेष बेंच में होनी चाहिए।

चौथी याचिका में अभिषेक ने कहा कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय किसी भी लंबित मामले पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी न करें। पांचवीं याचिका में कहा कि सुप्रीम कोर्ट सभी सबूतों के आधार पर इस स्थिति में जो उचित समझे उसे आदेश दिया जाना चाहिए।

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