कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम ममता बनर्जी ने चेताया

मास्क पहने, रहे स्वस्थ, बांग्ला को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

कोलकाता, सूत्रकार : प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने माना कि राज्य में कोरोना मौजूद है। उन्होंने राज्यवासियों को कोविड से निपटने में सावधानी बरतने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि मास्क पहने और स्वस्थ रहे। कोरोना रोकने के लिए जो उपाय कर सकते हैं, करें। यहां बहुत से लोग बाहर से आते हैं। कई बीमारी लेकर आते हैं। राज्य में कोरोना भी बाहर से आया है और फिर ये फैल गया।

सूत्रों के अनुसार पिछले 24 घंटे में राज्य में 27 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आये हैं, जो पिछले एक साल में सबसे ज्यादा है। नतीजा यह हुआ कि राज्य में एक्टिव कोविड मरीजों की संख्या दो सौ के पार पहुंच गयी है। विशेषज्ञों को डर है कि अगले कुछ हफ्तों में कोविड संक्रमण बढ़ सकता है, लेकिन स्वस्थ लोगों में संक्रमण उतना गंभीर नहीं होगा। लेकिन जो लोग पहले से किसी रोग से पीड़ित हैं, उन्हें थोड़ा खतरा हो सकता है। गुरुवार को नवान्न में कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम ने कहा कि मेरा निजी नर्सिंग होम से अनुरोध रहेगा कि वे आईसीसीयू को अच्छी तरह से कीटाणुरहित करें। क्योंकि हमारे यहां कोविड है। स्पेन और अमेरिका में थोड़ा ज्यादा हो रहा है। अपने देश केरल में भी हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि मैं जबरदस्ती कुछ नहीं कर रही हूं। बिजनेस में भी कोई दिक्कत नहीं हो, इसलिए बोल रही हूं। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह से तैयार है कि कोरोना नहीं फैले।

बांग्ला को शास्त्रीय भाषा के रूप में दी जाए मान्यता

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने एक बार फिर बांग्ला को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने की मांग की है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि बांग्ला भाषा का जन्म और विकास ढाई हजार वर्ष पहले हुआ है। हमने सभी रिसर्च पेपर निकाले हैं। मैंने पीएम को सबूतों के साथ पत्र लिखा है। हमसे पहले जो लोग सत्ता में थे, उनमें से किसी ने भी बांग्ला भाषा की स्थिति के बारे में नहीं सोचा। शास्त्रीय भाषाएं वे भाषाएं हैं जो बहुत प्राचीन हैं। आज से कम-से-कम कोई 1500 साल या उससे भी अधिक वर्ष पुराना। उस दृष्टि से बांग्ला भाषा की आयु ढाई हजार वर्ष से भी अधिक है। इसके अतिरिक्त इसका प्रचलन, प्रवाह, प्रसार आज भी समानान्तर रूप से चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगासागर मेले को राष्ट्रीय मेला घोषित करने के लिए एक बार फिर केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मेले के लिए केंद्र की ओर से एक रुपये भी नहीं आता है। इस बार भी राज्य सरकार ने 250 करोड़ रुपये खर्च किये हैं।

राज्य लंबे समय से केंद्र की अनदेखी का शिकार है, यह बात एक बार फिर मुख्यमंत्री ने नवान्न में संवाददाता सम्मेलन में कही। पहले भी ममता ने केंद्र पर कई केंद्रीय परियोजनाओं में पैसा नहीं देने का आरोप लगाया है। इस संबंध में उन्होंने उस पार्टी पर भी हमला बोला जो पूर्व में राज्य की सत्ता में थी। सीएम ने कहा कि वे राजनीति में इतने व्यस्त थे कि उनके पास इन चीजों को सोचने का भी समय नहीं था।

सीएम ने सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि राज्य का नाम बदलने की बात भी की। उन्होंने कहा कि राज्य के नाम को लेकर विधानसभा में विधेयक पारित हो चुका है, लेकिन वह भी अटका हुआ है। अगर राज्य का नाम बांग्ला है तो आपत्ति कहां है? ममता ने सवाल उठाया कि बॉम्बे मुंबई बन गया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में केंद्र से कई बार अनुरोध किया है लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता है। ‘पश्चिम बंगाल’ से राज्य का नाम बदलने के बाद इस राज्य के बच्चों को विदेश जाने पर भी काफी लाभ मिलेगा। राज्य को सरकारी बैठकों में ‘वर्णानुक्रमानुसार’ आगे रहने की असुविधा नहीं उठानी पड़ेगी। इस संबंध में केंद्र द्वारा पूछे गए सभी सवालों का राज्य ने जवाब दे दिया है। इसके बावजूद नाम बदलने की बात पर वे जवाब नहीं देते हैं।

बता दें कि कुछ महीने बाद देश में आम चुनाव हैं। उससे पहले राजनीतिक हलके का मानना ​​है कि बांग्ला को शास्त्रीय भाषा बनाने और राज्य का नाम बदलने को लेकर मुख्यमंत्री का यह पत्र भेजने के बीच अलग-अलग मायने हैं। तृणमूल खेमे ने भाजपा नेताओं को ‘बाहरी’ और ‘बंगाली विरोधी’ के रूप में चित्रित करने की कोशिश की। क्या वे आम चुनाव से पहले उस रणनीति का उपयोग करना चाहती हैं? इसको लेकर अब अटकलें तेज हो गयी है।

सीएम ने कहा कि संदेशखाली की घटना की जांच चल रही है, इसलिए वे टीएमसी नेता और इस मामले के आरोपी शांहजहा शेख  के खिलाफ कुछ नहीं कहेगी।

Bengali classical languageCM Mamata Banerjee warned after the cabinet meetingState Chief Minister Mamata Banerjeeप्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जीबांग्ला को शास्त्रीय भाषा