हत्या के मुख्य आरोपी को जमानत दिलाने की साजिश, पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

विजयकृष्ण भुइयां हत्या मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस को लगायी फटकार

कोलकाता: पूर्व मेदिनीपुर के मैना में भाजपा नेता विजयकृष्ण भुइयां की हत्या के मुख्य आरोपी को पुलिस ने छुड़ाने की साजिश रची है। कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जॉय सेनगुप्ता ने सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान ऐसी सनसनीखेज टिप्पणी की। जज ने आदेश दिया कि पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल करने में 1 दिन का समय अधिक क्यों लगाई, कारण अगली सुनवाई में बताई जाए।

पिछले मई में बीजेपी नेता विजयकृष्ण भुइयां को पूर्वी मेदिनीपुर के मैना स्थित उनके घर से ले जाकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने उस घटना में कई लोगों को गिरफ्तार किया। लेकिन गिरफ्तारी के 90 दिन बाद भी आरोप पत्र दाखिल नहीं किये जाने के कारण मुख्य आरोपी को 4 अगस्त को जमानत मिल गयी। इसके ठीक अगले दिन मैना थाने की पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित कर दिया।

विजयकृष्ण भुइयां की हत्या की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर मामला सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में आया तो जस्टिस जॉय सेनगुप्ता ने यह बात कही। हम किसी भी मामले की जांच सीबीआई या सीआईडी ​​को नहीं सौंपना चाहते लेकिन यह मामला इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि हमें ऐसा करने की आवश्यकता क्यों है।

पुलिस द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि चार अगस्त को आरोप पत्र तैयार किया गया था। इसके बावजूद उस दिन कोर्ट में आरोप पत्र जमा नहीं किया गया। मुख्य आरोपी को जमानत मिलने के बाद पांच अगस्त को आरोप पत्र अदालत में पेश किया गया। इससे साफ है कि मुख्य आरोपी को जमानत दिलाने की साजिश में पुलिस भी शामिल है।

जस्टिस सेनगुप्ता ने सवाल किया कि इस मामले में एससी-एसटी एक्ट जुड़ने के बाद भी आरोपी को जमानत कैसे मिल गई? हालांकि विजयकृष्ण को बम से मारने के लिए ले जाने का आरोप था, फिर भी मामले में विस्फोटक अधिनियम की धारा क्यों नहीं जोड़ी गयी? न्यायाधीश ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी। इन सभी सवालों का जवाब पुलिस को उस दिन देना होगा।

 

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