सुषमा बड़ाईक को कोर्ट ने फिर मुहैया कराया हाउस गार्ड

रांची : 13 दिसंबर 2022 को सहजानंद चौक के पास बदमाशों ने सुषमा बड़ाईक पर फायरिंग की थी।जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सुषमा बड़ाईक और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए हाउस गार्ड मुहैया कराए गए थे। जिसे कुछ दिन पहले वापस ले लिया गया था। आज इस मामले में सुनवाई हुई है। झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष सुषमा बड़ाईक पहुंचीं। उन्होंने हाउस गार्ड की वापसी के बारे में कोर्ट को अवगत कराया। इस मामले में कोर्ट ने रांची के एसएसपी किशोर कौशल से वर्चुअली बात की है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि दिसंबर 2022 में उसे जान से मारने की कोशिश की गई थी। इसलिए उन्हें गार्ड दिया गया था। अब सभी आरोपी पकड़े जा चुके हैं। अभी सरहुल और रामनवमी के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की जरूरत है, इसलिए उनके होमगार्ड को हटा लिया गया है। सुषमा बड़ाईक के पास पहले से ही तीन बॉडीगार्ड हैं। इस पर कोर्ट ने रांची एसएसपी को सुषमा को हाउस गार्ड मुहैया कराने का फिर निर्देश दिया है। कोर्ट ने निर्देश देते हुए याचिका पर अमल किया। गौरतलब है कि 13 दिसंबर को सहजानंद चौक के पास बाइक से अपने अंगरक्षक के साथ कोर्ट जा रही सुषमा को बदमाशों ने तीन गोलियां मार कर घायल कर दिया था। इस घटना को अंजाम देकर तीनों फरार हो गए थे। मामले का खुलासा करते हुए एसएसपी किशोर कौशल ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान, उनके साले फरहान ने मुदस्सिर और गुड्डू से संपर्क किया और उनके साथ पूरी प्लानिंग की। इसके तहत तीनों शूटर रांची पहुंचे, इसके एवज में दानिश ने फरहान को 80 हजार दिए थे। कहा कि काम पूरा होने के बाद उसे और राशि देंगे।

 

 

हाई प्रोफाइल लोगों पर लगाए थे काफी गंभीर आरोप 

 

सुषमा बड़ाईक ने कई हाई प्रोफाइल लोगों पर गंभीर आरोप लगाए थे। सुषमा बड़ाईक का नाम सबसे पहले तब चर्चा में आया था जब 2005 में तत्कालीन आईपीएस पीएस नटराजन के साथ उनका वीडियो सामने आया था। सुषमा बड़ाईक ने पीएस नटराजन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। मामले की जांच हुई, आईपीएस अधिकारी पीएस नटराजन को आरोपों से बरी कर दिया गया, हालांकि पीएस नटराजन को इससे पहले भी साल 2012 में बर्खास्त कर दिया गया था। सुषमा बड़ाईक ने 50 से ज्यादा लोगों पर रेप और यौन शोषण के आरोप लगाए थे। बता दे की कई मामले अभी भी अदालतों में चल रहे हैं।

 

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