सनातन धर्म

यह वही धर्म है जिसमें राम को शबरी के जूठे बेर पसंद होते हैं। इसी धर्म की वजह से स्टालिन साहब और उन जैसे सैकड़ों लोगों का वजूद कायम है। सनातन धर्म ही है जिसने दुनिया को पहले सभ्य बनाने का काम किया, गिनती सिखाया, वैज्ञानिक शोध सिखाए और एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान सिखाया।

शामत आ गई है। यह शामत भी सनातन धर्म पर आई है। दक्षिण के नेता तथा तमिलनाडु सरकार के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन का कहना है कि समाज में जितनी भी बुराइयां हैं, वे सारी सनातन धर्म की वजह से ही हैं। इसी धर्म ने समाज में एकरूपता नहीं होने दी है तथा सामाजिक विभाजन को लगातार बढ़ावा देता रहा है। इस धर्म को अब समाप्त कर देना चाहिए। राय अच्छी है। इसे जरूर मिटाना चाहिए। लेकिन लागू किसे करेंगे, यह साफ-साफ नहीं बताया।

हो सकता है कि जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीख सामने आएगी कुछ लोगों के ज्ञान-चक्षु अभी और खुलेंगे। लेकिन मंत्री महोदय को कम से कम इतना जरूर बताना चाहिए कि सनातन धर्म को यदि हटा दिया जाए तो किसे लागू करें। अगर केवल वोट हासिल करने के लिए उन्हें यह सद्विचार सूझा है तो वह बात दीगर है लेकिन यदि उन्होंने गंभीरता से इसे कहा है तो इस पर विचार करने की जरूरत है।

अधकचरी सोच का परिणाम

जिस नए राजनीतिक गठबंधन के नाम पर स्टालिन साहब कूद रहे हैं, उस गठबंधन के सर्वमान्य नेता का नाम है मोहनदास करमचंद गांधी। और गांधी को मानने वालों को पता है कि उन्होंने भी सनातन धर्म के ही एक प्राणपुरुष श्रीराम के नाम पर सरकार चलाने का सपना देखा था। यहां तक कि मरते समय भी बापू के मुंह से राम का ही नाम निकला था। पूछा जा सकता है नए गठबंधन के नए सिपहसालारों से कि क्या बापू को भी निकाल फेंकने की योजना बन गई। शायद इसका जवाब नहीं आएगा। राजनीति के लिए या वोटों के लिए चुनावी चाल चली जानी चाहिए लेकिन मूल्यों के समझे बगैर कुछ भी कह देना अधकचरी सोच का ही परिणाम माना जाएगा। खुद गठबंधन में शामिल ज्यादातर लोग इस मसले पर कन्नी काट जाएंगे। इसकी खास वजह है।

पहले स्टालिन को यह जानना होगा कि धर्म क्या है। जिस धर्म को अंग्रेजीदाँ लोग रिलीजन से जोड़ते हैं, वह पाश्चात्य दुनिया का धर्म है। रिलीजन (महज धर्म का अंग्रेजी अनुवाद) से भारत के धर्म का कोई संबंध नहीं है। भारत में जिसे धर्म कहा जाता है वह कोई पूजा पद्धति नहीं, बल्कि जीने का तरीका है। एक सामाजिक अनुशीलन है। स्टालिन को यह जानना चाहिए कि यही वजह है कि दूसरे किसी भी धर्म के अधिष्ठाता के नाम पर कोई ऐसी-वैसी बात कर दे तो तुरंत ईस निंदा कानून लग जाता है।

धारण करने की क्षमता

दुनिया में बवाल मच जाता है लेकिन भारत में किसी देवी-देवता के नाम पर कुछ भी कहा जाए, इससे भारतीयों का धर्म या सनातन धर्म नष्ट नहीं होता। यहां लक्ष्मी-गणेश-शिव-पार्वती या नारायण के नाम पर अतीत में बहुत कुछ कहा गया है, लेकिन सनातन धर्म को तकलीफ नहीं हुई। यही है धर्म। जिसे धारण करने की क्षमता है, उसे धर्म कहा जाता है और पूजा पद्धति को रिलीजन। स्टालिन शायद इतनी सी बात समझ नहीं सके। भारत का वह धर्म ही है जिसने समाज को एक साथ जीना सिखाया है।

यह वही धर्म है जिसमें राम को शबरी के जूठे बेर पसंद होते हैं। इसी धर्म की वजह से स्टालिन साहब और उन जैसे सैकड़ों लोगों का वजूद कायम है। सनातन धर्म ही है जिसने दुनिया को पहले सभ्य बनाने का काम किया, गिनती सिखाया, वैज्ञानिक शोध सिखाए और एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान सिखाया। सनातन की सोच ही है जिसमें श्रीकृष्ण ने आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत का पाठ पढ़ाया। वोट लेने की घड़ी आ रही है। जिसे जितना समझाया जा सके देश के नेता उसे समझा लें, मगर प्लीज धर्म को गाली न दें।

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