आर्थिक रूप से ठूँठ हो चुकी दक्षिण दमदम नगरपालिका

पालिका ने जताया पीपीपी मॉडल पर भरोसा, आय के स्रोतों पर माथापच्ची

राकेश पाण्डेय

कोलकाता:  साउथ दमदम नगरपालिका के पास इन दिनों अपना खर्च चलाने के लिए भी पैसे कम पड़ रहे हैं। ऐसे में विकास कार्य की उम्मीद तो कल्पना से भी बाहर है।

नगरपालिका की ओर से पहले ही घोषणा की जा चुकी है कि उसके पास फंड का अभाव है, जिसके कारण वह आगे की परियोजनाओं को करने के लिए फिलहाल तैयार नहीं है।

हालांकि, विपक्ष के अनुसार नगरपालिका सामान्य सेवाएं प्रदान करने में पिछड़ रही है। लागत नियंत्रण के आधार पर निजीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।

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यह सवाल भी उठ रहा है कि जब सरकारी खजाने की हालत खराब है, तो लाखों रुपये मनोरंजन पर क्यों खर्च किए जा रहे हैं। नगरपालिका अपनी आय को बढ़ाने के लिए नए स्रोत को तलाशने की कोशिश कर रही है।

पालिका के पास वही हाउस टैक्स, वाटर टैक्स, नगरपालिका की दुकानों का किराया, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र और नगर क्षेत्र में लगने वाले होर्डिंग बोर्ड का ही सहारा है। इसमें भी टैक्स प्रक्रिया में परिवर्तन के चलते नगर क्षेत्र में निवास करने वाले अधिकतर लोग टैक्स का भुगतान ही नहीं कर रहे हैं।

नगरपालिका के अधीनस्थ एक अस्पताल भी है, जिसका नाम साउथ दमदम म्युनिसिपल अस्पताल है। इस अस्पताल की ओर से इलाके के लोगों को बेहतर परिसेवा देने के लिए हर संभव कोशिश की जाती है।

कुछ हद तक तो नगरपालिका सफल हो जाती है लेकिन कई मामलों में उसको हार का सामना करना पड़ता है। इस अस्पताल में कई अत्याधुनिक मशीनें लायी गयी हैं, लेकिन कई मामलों में वह अपने मन को मार जाती है। नगरपालिका के पास फंड ही नहीं है, जिससे वह अपनी कसौटी पर खरा उतरे।

नगरपालिका की ओर से इस कमी को दूर करने और बेहतर चिकित्सा सेवा देने के लिए पीपीपी मॉडल का सहारा लेने की तरकीब सोची जा रही है। इससे यहां के लोग चिंतित दिख रहे हैं। नगरपालिका की ओऱ से अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग का काम पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर करने की योजना बनाई है। इस योजना के बाद इलाके के कुछ निवासियों ने टेस्ट में खर्च बढ़ने की भी आशंका जताई है।

हालांकि नगरपालिका का दावा है कि पीपीपी मॉडल पर भी जाएं तो खर्च समान रखने की कोशिश की जाएगी। 30 बिस्तरों वाले साउथ दमदम म्युनिसिपल अस्पताल में विभिन्न ​​सुविधाएं हैं। कई आवश्यक उपकरण कई साल पहले चरणों में स्थापित किए गए थे।

ऐसा कहते हैं चेयरमैन इन काउंसिल

दक्षिण दमदम नगरपालिका के चेयरमैन इन काउंसिल के सदस्य (स्वास्थ्य) संजय दास ने बताया कि नगरपालिका के पास इन दिनों आर्थिक तंगी है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव हर दिन बढ़ता जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इसे देखते हुए पीपीपी मॉडल की योजना बनायी गयी है। दास ने बताया कि इस मॉडल पर खर्च ज्यादा नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि उपकरणों को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है।

कई मामलों में मरीजों को अन्य जांचों के लिए दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ता है। पीपीपी मॉडल पर रक्त परीक्षण या पैथोलॉजी सेवाओं सहित अन्य सेवाओं की पेशकश करने की योजना बनाई गई है। इसके शुरू होने के बाद, निवासियों को लाभ होगा और साथ ही शहर के अधिकारियों को उम्मीद है कि नगरपालिका का अधिकांश खर्च कम हो जाएगा।

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