NCERT की किताब से हटाया गए पहले शिक्षा मंत्री

मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम हटाया गया

नई दिल्ली। शिक्षा के क्षेत्र में एक के बाद एक बदलाव किए जा रहे हैं एनसीईआरटी की ओर से और इसी के तहत आज NCERT की 11वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस की नई किताब में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम हटा दिया गया है। इतना ही नहीं किताब से जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद-370 को सुरक्षित रखने के पहलू को भी हटा दिया गया। बता दें कि इससे पहले एनसीईआरटी की किताबों से महात्मा गांधी और गोडसे से जुड़ी कई जानकारियों को भी हटाने की खबर सामने आई थी।

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काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग यानी NCERT में हुए बदलाव को लेकर पहले से ही देश में राजनीतिक विवाद जारी है। अब ऐसे में एक बार फिर से तमाम राजनीतिक दलों के बीच जंग छिड़नी तय है.

‘संविधान – क्यों और कैसे’ टॉपिक में संविधान सभा की बैठकों से मौलाना आजाद का नाम हटा दिया गया है। आजाद का नाम हटाकर जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल या बीआर अंबेडकर के नाम मौजूद हैं।

जबकि मौलाना आजाद ने 1946 में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए भारत की नई संविधान सभा के चुनाव में कांग्रेस का नेतृत्व किया था। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने 6वें वर्ष में ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के साथ बातचीत करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया था।

बता दें कि पुरानी किताब के “संविधान-क्यों और कैसे?” चैप्टर की एक लाइन में लिखा था संविधान सभा में अलग-अलग विषयों पर आठ प्रमुख समितियां थीं। आमतौर पर, जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल, मौलाना आजाद या आंबेडकर इन समितियों की अध्यक्षता करते थे। ये ऐसे लोग नहीं थे जो कई बातों पर एक-दूसरे से सहमत हों।

दरअसल एनसीईआरटी ने बच्चों पर पढाई के भार को कम करने के लिए सभी विषयों के सिलेबस में बदलाव किया था। एनसीईआरटी का कहना था कि इससे बच्चों को जल्दी सिलेबस कवर करने में मदद मिलेगी। जिसको देखते हुए हिंदी की किताब से कुछ कविताएं और पैराग्राफ भी हटा दिए गए हैं। मुगल काल के शासकों और उनके इतिहास पर आधारित अध्यायों को थीम्स ऑफ़ इंडियन हिस्ट्री पार्ट II नामक किताब से हटा दिया गया है। ऐसे में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम हटाना एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस मामले में जानकारों का कहना है कि सिलेबस को और एडवांस बनाया जाए लेकिन इतिहास से खेलने की इजाजत नहीं होती क्योंकि इतिहास न तो बनाया जा सकता है तथा ना ही बदला जा सकता है।

 

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