I.N.D.I.A. गठबंधन में पड़ी दरार ?

दिल्ली/रांची : एनडीए से सत्ता हथियाने के लिए बनी इंडिया में धीरे धीरे दरार दिखलाई दे रहा है। दरार का कारण पार्टी नेताओ की जुबानी जंग सामने आ रही है। दिल्ली के सातों संसदीय सीट पर अकेले चुनाव लडने का आप सुप्रीमो केजरीवाल का दावा है। तो वही झारखंड से 9 संसदीय सीटों पर कांग्रेस का चुनाव लड़ने का दावा है। शिवसेना और अन्य दलों की जुबानी इंडिया में खटरस साबित कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक बिहार,मुख्यमंत्री नितीश कुमार बहुत मन बना के दिल्ली गए थे, लेकिन सूत्र बताते है की वो वहां के पार्टी प्रमुख से बिना मिले ही वापस आ गये।

इस मुलाकात के नहीं होने का कारण जुबानी जंग बताया जा रहा है। ये गठबंधन जैसे ही बना था तब से ही आप सरकार और कांग्रेस सरकार के बीच अनबन बनी ही हुई थी। फिर चाहे वो दिल्ली अध्यादेश हो या फिर अन्य मुद्दा। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच अनबन हो गयी। हाल के दिन कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने शुक्रवार के दिन दिल्ली में आकर केजरीवाल सरकार के मोहल्ला क्लिनिक का जायज़ा लिया। लेकिन उनका ये दौरा अचानक ही राजनीतिक अखाड़े में तब्दील हो गया जी हाँ ,दिनेश गुंडू राव ने दिल्ली के पंचशील पार्क में स्तिथ मोहल्ला क्लिनिक का दौरा किया, साथ ही क्लिनिक के मॉडल को भी समझा।

मीडिया से बातचीत के दौरान तो स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने बताया की वो मोहल्ला क्लीनिक मॉडल को देखने आये थे। पहले उन्होंने मोहल्ला क्लिनिक की तारीफ़ की। लेकिन इसके बाद उन्होंने ट्वीटर के ज़रिये बुराइयां करनी शुरू कर दी। आम आदमी पार्टी का कहना है कि कांग्रेस को छोड़कर तमाम विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर उन्हें समर्थन दिया। ऐसे में पार्टी का आरोप है कि कांग्रेस बीजेपी के साथ दिख रही है। कांग्रेस का कहना है कि बिना सोच समझे किसी बिल पर अपना स्टैंड कैसे साफ कर सकते हैं। साथ ही पार्टी के सीनियर नेताओं ने 23 जून को पटना की मीटिंग में भी कहा था कि किसी केंद्रीय नेता ने अब तक बिल का विरोध या समर्थन करने की बात नहीं कही है। साथ ही जिस दिन केंद्र सरकार ने ऑर्डिनेंस लाया था उस दिन कांग्रेस ने आधिकारिक बयान में जरूर इस कदम की निंदा की थी।

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और बाद में पंजाब में कांग्रेस के स्पेस को हथिया कर ही सत्ता हासिल की। आम आदमी पार्टी की दूसरे राज्यों में पैर पसारने की कवायद में असली टारगेट कांग्रेस ही है। ऐसे में कांग्रेस अब अपने स्पेस को अधिक खोना नहीं चाहती है। साथ ही पार्टी के अंदर एक राय है कि दिल्ली और पंजाब में भी अपनी जगह वापस हासिल करने के लिए आक्रामक पहल करनी चाहिए। इस जुबानी जंग के बाद शिवसेना कहती है, ये कोई दरार नहीं है , इंडिया अलाइंस की अगली बैठक मुम्बई में होने जा रही है ,31 अगस्त को हर राज्य में अलग अलग पार्टी है ऐसे में कांग्रेस का पूरा अधिकार है हर राज्य में अपनी पार्टी का विस्तार ज्यादा से ज्यादा करना। लेकिन मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं नजर आ रही है। बरहाल इंडिया में शामिल राजनैतिक दाल एक दूसरे पर बयां बजी करते रहे तो साल 2024 के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कैसे काबिज हो पाएंगे यह एक अहम् सवाल है।

 

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