कृषि बिल के विरोध में खाद्यान्न व्यापारियों का अनिश्चितकालीन बंद 15 फरवरी से

भाजपा विधानसभा में मुद्दा उठाएगी , झामुमो ने कहा - राज्यपाल की मिल चुकी है स्वीकृति

उपेंद्र गुप्ता 

रांची : झारखंड के करीब डेढ़ लाख खाद्यान्न व्यवसायियों में कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक को लेकर भारी आक्रोश है । इस विधेयक को वापस लेने की मांग को लेकर राज्य सरकार से व्यवसायिों ने कई बार वार्ता की , वार्ता विफल होने के बाद फेडरेशन ऑफ झारखंड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के आह्वान पर व्यवसायियों ने कल 15 फरवरी से राज्यव्यापी बंदी करने की घोषणा की है । राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनते ही कृषि उपज और पशुधन पर 2 फीसदी टैक्स लगाने का फैसला लिया गया है । जिसको लेकर व्यवसायियों ने सरकार के समक्ष अपनी बातें रखी, लेकिन नतीजा नहीं निकला,

कृषि बिल अफसरशाही की देन

राज्य में व्यवसायियों की सबसे बड़ी संस्था फेडरेशन ऑफ झारखंड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष किशोर मंत्री का मानना है कि इस बिल से व्यवसायियों के व्यापार और स्वाभिमान को ठेस पहुंचेंगा । कोरोना काल के बाद वैसे ही व्यावसायियों की हालत काफी खराब है, इस बिल से उनकी स्थिति मरणासन्न जैसी हो जाएगी । वही रांची हरमू के फल विक्रेता संघ के सदर ने भी हड़ताल को अपना समर्थन दिया है । फल संघ के सदर का कहना है कि यह अफसरशाही है और इसका जोरदार तरीके से विरोध करेंगे ।

विधानसभा में मुद्धा उठाएगी भाजपा

भाजपा प्रवक्ता प्रदीप कुमार सिंहा ने कहा कि कृषि बिल को लेकर भाजपा ने व्यावसायिों के हड़ताल का नौतिक समर्थन किया है और इस मुद्दे को विधानसभा में सरकार को घेरेगी । वहीं झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि राज्यपाल के स्वीकृति के बाद ही कृषि बिल को लाया गया है, इसके बावजूद व्यावसायियों को किसी तरह की आपत्ति है तो उन्हें सीएम से मिलकर समाधान निकालना चाहिए ।

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