खानाबदोश जिंदगी

पाकिस्तान की सरकार ने उन लाखों लोगों को अपने देश से निकल जाने का फरमान सुनाया है, जिन्हें अफगान शरणार्थी के तौर पर पाकिस्तान में शरण दिया गया था। बात तब की है जब अफगानिस्तान पर रूस का प्रभाव था। तभी से धार्मिक कारणों से कुछ लोगों ने अफगान धरती को छोड़कर पाकिस्तान में शरण ले रखी थी।

इतिहास इस बात की गवाही देता रहा है कि हर युग में कुछ ऐसे सिरफिरे लोग रहे हैं जिन्हें आम लोगों की जिंदगी से खेलने का शौक रहा। ऐसे लोगों का इतिहास भी बड़ा अजीबोगरीब हुआ करता है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़ी कहानी भी ऐसे ही लोगों की है। हैरत की बात है कि दुनिया जहां पश्चिम एशिया में हमास और इजरायल के बीच के घमासान से आतंकित है, रोजाना हो रही गाजा पट्टी में लोगों की मौत से विश्व विरादरी परेशान है, वहीं एशिया के एक कोने में लाखों लोगों को बेघर किया जा रहा है। उन्हें खानाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर किया जा रहा है और पूरी दुनिया इस तमाशे पर खामोश है।

दरअसल पाकिस्तान की सरकार ने उन लाखों लोगों को अपने देश से निकल जाने का फरमान सुनाया है, जिन्हें अफगान शरणार्थी के तौर पर पाकिस्तान में शरण दिया गया था। बात तब की है जब अफगानिस्तान पर रूस का प्रभाव था। तभी से धार्मिक कारणों से कुछ लोगों ने अफगान धरती को छोड़कर पाकिस्तान में शरण ले रखी थी। इनमें से ज्यादातर लोगों को पाकिस्तान ने अपना नागरिक भी करार दिया था।

तुरंत देश छोड़ने का हुक्म

यहां तक कि तालिबान की सरकार के काबुल में काबिज होने तथा तालिबान द्वारा प्रताड़ित होने के डर से भी कुछ लोगों ने अपना देश छोड़ दिया था। उन्हें पाकिस्तान के खास-खास जगहों पर शरण लेनी पड़ी थी। लेकिन अब पाकिस्तान की कामचलाऊ सरकार की ओर से तुरंत देश छोड़ने का हुक्म दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना के इशारे पर ही ऐसा किया जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक ऐसे लोगों की संख्या 13 लाख से कुछ ज्यादा है।

देश से निकालने की दो वजहें गिनाई जा रही हैं। पहली वजह तो पूरी तरह आर्थिक है क्योंकि आज अपने ही जाल में फंस चुके पाकिस्तान के पास अपने नागरिकों की भूख मिटाने के सामान बमुश्किल मौजूद हैं। उस पर विदेशी शरणार्थियों का बोझ उठाए नहीं उठता। पाक शासन का मानना है कि अफगान शरणार्थियों के चले जाने से लाखों लोगों को कमाई के साधन मिल सकेंगे।

पाकिस्तान से हटाने का फरमान

दूसरी वजह यह कि पाकिस्तान को शक है कि इन शरणार्थियों में से ज्यादातर लोग तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान का साथ दे रहे हैं तथा आए दिन जो विस्फोट हो रहे हैं, उनमें अफगान शरणार्थियों की मिलीभगत है। इन्हीं वजहों से इन शरणार्थियों को पाकिस्तान की धरती से हटाने का फरमान सुनाया जा रहा है।

लेकिन कूटनीतिक हलकों में इसका दूसरा मतलब निकाला जा रहा है। लोग मानते हैं कि पाकिस्तानी सेना की यह दबाव वाली सियासत है जो कामचलाऊ सरकार के जरिए अफगानी तालिबान शासकों पर आजमाई जा रही है। ऐसे में अफसोस यह है कि किसी भी मुल्क में शासक चाहे कोई भी बने, गद्दी की मारामारी कोई करे, इलाके दखल करने के लिए जंग की तैयारी कोई करे- मगर इसके शिकार होते हैं उस मुल्क के आम लोग। इस आम आबादी को सलामत रखने का कोई तरीका अबतक नहीं तलाशा जा सका है।

इंसान धरती से अंतरिक्ष तक चला गया, नए-नए शोध करने लगा है लेकिन सत्ता की मारामारी से दूर रहने वाली आम आबादी को मुकम्मल राहत कैसे दी जाए, इस पर कोई फारमूला नहीं बना है। सवाल है कि एक देश से दूसरे देश तक खदेड़े जाने वाले मजलूमों को खानाबदोश बनाने वालों का इंसाफ कौन करेगा।

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