Bihar Caste Census : कोड नंबर 22 को लेकर किन्नर समाज ने शुरू किया विरोध

बिहार : बिहार में जाति जनगणना के क्रम में अलग-अलग जातियों के लिए कोड जारी किया गया है। 01 से लेकर 215 के बीच में 22 नंबर भी कोड है, जो ट्रांसजेंडरों को लिए रखा गया है। बिहार में कोड नंबर 22 को लेकर के विरोध शुरू हो गया है। किन्नर समाज इसमें संसोधन करने की मांग की है। सरकार अगर इसमें संसोधन नहीं करती है किन्नर समाज न्यायालय की शरण में जाएंगे। उनलोंगों का कहना है कि वह लोग कोई जाति नहीं है, बल्कि लिंग है। उनकी पहचान लैंगिक है। सरकार जबरन उन्हें जाति की पहचान दे रही है।

 

किन्नर समाज की प्रतिनिधि रेशमा प्रसाद ने किया विरोध

इस विरोध की कड़ी में समाजसेवी सह किन्नर समाज की प्रतिनिधि रेशमा प्रसाद बताया कि वे ट्रांसजेंडर को अलग जाति का कोड देने का विरोध करती हैं, क्योंकि ट्रांसजेंडर लैंगिकता है, उन्होंने कहा कि वे एक समुदाय है और समाज से अलग नहीं हैं। उन्हें जाति के रूप में नहीं बल्कि लैंगिकता के रूप में स्वीकार किया जाए। इसके लिए कानूनी प्रावधान भी है। सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट और ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन एक्ट है। इसे सरकार स्वीकार नहीं करती तो यह कानून अपराध है।कर्नाटक राज्य सरकार ने ट्रांसजेंडर को 1% का आरक्षण दिया है। समाज में विभिन्न प्रकार के लोग हैं। विभिन्न जातियों के लोग हैं, लेकिन पहले उनकी पहचान उनके लिंग से होती है। इसके बाद उनकी जातिगत पहचान होती है। यही ट्रांसजेंडर पर भी लागू होता है। बिहार में ट्रांसजेंडर को पिछड़ा वर्ग में जोड़कर आरक्षण दिया गया, जिसका अब तक कोई लाभ नहीं मिल रहा है। पहले उन्हें पिछड़ा वर्ग में जोड़ा गया और इसी को आधार बनाकर ट्रांसजेंडर को जातिगत पहचान देने की कोशिश की जा रही है। लैंगिकता और जाति अलग- अलग है। यह बात सरकार को समझनी होगी. सरकार को यह समझना होगा कि भूमिहार ब्राह्मण, राजपूत, यादव, कुर्मी इत्यादि विभिन्न जातियों में किन्नर होते हैं। सरकार जातिगत गणना कर रही है तो जिस प्रकार विभिन्न जातियों में पुरुष और महिला की गिनती कर रही है, उसी में किन्नरों की भी गिनती की जाए। हर जाति में किन्नर हैं।