बढ़ती ही जा रही अल्पसंख्यक वोट बैंक को लेकर ममता की चिंता !

सागरदीघी के चुनावी परिणाम पर ममता बनर्जी ने चिंता जताई हैं

कोलकाता: मुर्शिदाबाद जिले की सागरदीघी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रत्याशी की हार और लेफ्ट समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी बायरन विश्वास की जीत ने राज्य में नई राजनीति की शुरुआत कर दी है।

सागरदीघी में हुई टीएमसी की हार से राजनीतिक विश्लेषक ये सवाल उठाने लगे हैं कि क्या सागरदीघी के नतीजों के बाद अल्पसंख्यक वोट बैंक को लेकर टीएमसी सुप्रीमो की चिंता बढ़ रही हैं?

आकपो बता दें, सागरदीघी के चुनावी परिणाम पर ममता बनर्जी ने चिंता जताई हैं। नतीजे के बाद सीएम ममता बनर्जी ने राज्य के अल्पसंख्यक मंत्रियों और नेताओं को बुलाया और बैठक की। ममता ने उन्हें यह पता लगाने के लिए कहा था कि टीएमसी से अल्पसंख्यक क्यों नाराज हैं?

इसे भी पढ़ेंः पूर्व CM सिद्धार्थ शंकर राय के आवास को मिलेगा हेरिटेज का दर्जा

इसकी एक समीक्षा रिपोर्ट भी पेश करने को निर्देश दिया गया। इसके लिए एक कमेटी गठित की गयी। इस बीच शुरुआत में कमेटी ने आपस में चर्चा की और 25 कारणों की पहचान भी की है।

सूत्रों के अनुसार कमेटी अगले हफ्ते ममता बनर्जी को रिपोर्ट देगी। कमेटी का मानना है कि सागरदीघी में टीएमसी की हार के पीछे मुस्लिमों की नाराजगी और पार्टी की अंतरकलह बताई जा रही है।

बता दें कि सागरदीघी के 64 फीसदी अल्पसंख्यक वोटरों में कांग्रेस को 47.35 फीसदी वोट मिले हैं लेकिन साथ ही यह भी सच है कि राज्य की 294 सीटों में से एक मॉडल नहीं हो सकता है। पर यह मानना पड़ेगा कि सागरदीघी के नतीजों से विपक्षी खेमे का हौसला बढ़ा हुआ है।

वहीं, कई लोगों का मानना ​​है कि शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर आवास योजना सहित भ्रष्टाचार के विभिन्न मुद्दों ने मुस्लिम समाज में सत्तारूढ़ और शासक के प्रति असंतोष पैदा किया होगा।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सीएम ममता बनर्जी की बीजेपी के साथ बढ़ती नजदीकी से भी मुस्लिम समुदाय के लोग नाराज हैं। सीएम ममता ने हाल के दिनों में मोदी पर सीधा हमला करने से बचती रही हैं।

उल्लेखनीय है कि अगर सागरदीघी की तरह अल्पसंख्यक वोट खिसक गया तो टीएमसी को राज्य के कई विधानसभा क्षेत्रों में चिंता करनी पड़ेगी। 50 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाताओं वाले राज्य में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 49 है।

77 सीटों पर 25 से 50 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। वहीं, 115 निर्वाचन क्षेत्रों में 10 से 25 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। कुल मिलाकर यह स्पष्ट है कि 294 सीटों वाले बंगाल विधानसभा में सत्ता में कौन रहेगा, यह काफी हद तक मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर है।

बता दें, टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी पहले भी मुस्लिम वोट बैंक की निर्भरता की बात कह चुकी हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 18 सीटें जीतकर अचानक बढ़त बना ली थी।

टीएमसी 34 से 22 सीटों पर आ गई थी। उस समय के चुनावों में बीजेपी ने ममता और टीएमसी पर मुस्लिम पक्षपात का आरोप लगाया था। नतीजों के बाद ममता बनर्जी ने कहा था कि दूध देने वाली गाय लात मारने में अच्छी होती है !

लेकिन सागरदीघी चुनाव परिणाम के बाद माना जा रहा है कि अगर अल्पसंख्यक वोट बैंक थोड़ा भी खिसक गया तो राज्य की सैकड़ों सीटें टीएमसी के लिए चिंता का कारण बन जाएंगी।

 

#cm mamta banerjeeCongress candidate Byron BiswasSagardighi Assembly Seatकांग्रेस प्रत्याशी बायरन विश्वाससागरदीघी विधानसभा सीटसीएम ममता बनर्जी