राज्य के आदिवासी छात्र ने लंदन की यूनिवर्सिटी से डिस्टिंक्शन मार्क्स के साथ प्राप्त की डिग्री

-हेमंत और चंपई को दिया श्रेय, मुख्यमंत्री ने दी बधाई

रांची : झारखंड के वंचित और शोषित समाज के मेहनती और होनहार आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक बच्चों की प्रतिभा दुनिया के सामने लाने का जो सपना मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने देखा था, आज वह हकीकत में बदल रहा है। झारखंड के युवा अब शिक्षा के क्षेत्र में विदेशों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहें हैं। ऐसी ही प्रतिभा का प्रदर्शन पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड स्थित भाटिन गांव निवासी अजय हेंब्रम ने दिखाई है।

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अजय ने लंदन की यूनिवर्सिटी से डिस्टिंक्शन मार्क्स के साथ डिग्री प्राप्त की। अजय खुश है। कहते हैं भले ही डिग्री के लिए मैंने पढ़ाई की लेकिन इसका श्रेय मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और मंत्री चंपई सोरेन को जाता है, जिन्होंने हम जैसे युवाओं को वैश्विक मंच पर छा जाने का अवसर मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के जरिए दिया। अब हमलोग यहां के लोगों के बीच अपने समाज, राज्य और देश की और भी बेहतर छवि बनाने का प्रयास करेंगे।

मुख्यमंत्री ने बढ़ाया हौसला :

मुख्यमंत्री ने एक्स पर अजय से कहा, आदरणीय बाबा दिशोम गुरुजी कहा करते हैं कि गरीब और वंचित समाज के युवाओं को शिक्षा के अवसर मिलते हैं तो सिर्फ वो ही नहीं, उनका घर, गांव और समाज भी आगे बढ़ता है। आप सदैव अपनी मेहनत और लगन से सफलता की बुलंदियों को छूते रहें। मुख्यमंत्री ने अजय के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उसे बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा झारखंड के युवाओं के साथ उनका यह भाई हमेशा खड़ा है और रहेगा।

सरकारी खर्चे पर वंचित वर्ग से 50 युवा विदेश में प्राप्त कर रहे उच्च शिक्षा :

उल्लेखनीय है कि मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत अब तक राज्य के 50 युवक-युवती ब्रिटेन के विभिन्न यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं, या कर रहे हैं, जिन्होंने पढ़ाई पूरी कर ली है। इनमें से कुछ विदेश में ही नौकरी कर रहे हैं और कुछ देश में ही उच्च संस्थानों में नौकरी कर रहे हैं। इनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थी शामिल हैं। इन सभी को राज्य सरकार शत प्रतिशत छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है। देशभर में पहली बार मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में इस तरह की छात्रवृत्ति योजना झारखंड में लागू की गई है।