मेघालय को मिली पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन

मेघालय को अपनी पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन मिल गई

शिलांग।  मेघालय को अपनी पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन मिल गई है। दरअसल भारतीय रेलवे ने अभयपुरी-पंचरत्न के बीच महत्वपूर्ण खंडों का विद्युतीकरण पूरा किया है।

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इस पहल से दुधनाई-मेंदीपाथर के विद्युतीकरण से पूर्वोत्तर भारत में ट्रेनों की रफ्तार में काफी सुधार होगा। आपको बता दें कि भारतीय रेलवे 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जक बनने के लिए पूरी ताकत से आगे बढ़ रहा है।

पूर्ण विद्युतीकरण की कोशिश में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने दुधनाई-मेंदीपाथर (22.823 ट्रैक किलोमीटर) सिंगल लाइन सेक्शन और अभयपुरी-पंचरत्न (34.59 ट्रैक) चालू करके एक और उपलब्धि हासिल की है। रेलवे विद्युतीकरण के लिए केंद्रीय संगठन (कोर) ने इन खंडों में विद्युतीकरण का काम किया है।

बता दें कि मेंदीपाथर उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय का एकलौता रेलवे स्टेशन है, जो भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने के बाद 2014 से परिचालन में है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन चालू होने के बाद, इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव द्वारा खींची जाने वाली ट्रेनें अब मेघालय के मेंदीपाथर से सीधे संचालित हो सकेंगी। इससे औसत रफ्तार में बढोतरी होगी। इस सेक्शन में यात्रा के लिए निर्धारित समय में कमी आएगी। अब दूसरे राज्यों से इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव द्वारा खींची जाने वाली पार्सल और माल ढुलाई वाली ट्रेनें सीधे मेघालय पहुंच सकेंगी।

वहीं अगर मंत्रालय की माने तो इस योजना की शुरुआत के साथ ही या यू कहें कि विद्युतीकरण से पूर्वोत्तर भारत में ट्रेनों की गतिशीलता में काफी सुधार होगा। जीवाश्म ईंधन(Fossil fuel) से बिजली की ओर जाने से होने वाले प्रदूषण में कमी के अलावा, इस क्षेत्र में रेलवे प्रणाली में भी सुधार होगा। इससे बिना रूकावट के यातायात की सुविधा होगी और कीमती विदेशी मुद्रा की बचत के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों से आने-जाने वाली ट्रेनों के समय की भी बचत होगी।

 

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