ईस्टर के मौके पर ईसाइयों ने अपने पूर्वजों को याद किया, कब्रिस्तान में मोमबत्तियां जलाईं और प्रार्थना की.

गिरजाघरों में हुई विशेष प्रार्थना सभा

जमशेदपुर : ईस्टर संडे के मौके पर ईसाई समुदाय के लोगों ने सुबह-सुबह कब्रिस्तानों में अपने पूर्वजों की कब्रों के पास मोमबत्तियां जलाईं और प्रार्थना की, जिसके बाद चर्च पहुंचे और प्रभु यीशु के सामने प्रार्थना की और 40 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में लीन हो गए. इससे पहले सभी ने एक दूसरे को ईस्टर की बधाई दी। यह त्यौहार गुड फ्राइडे के तीसरे दिन मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सूली पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद प्रभु यीशु पुनर्जीवित हो गए थे। ईस्टर संडे ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत खास होता है। गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद ईसाई धर्म के लोग ईस्टर संडे का त्योहार मनाते हैं। गुड फ्राइडे ईसा मसीह के त्याग और बलिदान से जुड़ा दिन है। इस दिन लोग ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं। गुड फ्राइडे के तीसरे दिन यानी रविवार को ईसा मसीह पुनर्जीवित हो गए थे, इसलिए ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने की खुशी में ईस्टर संडे का त्योहार मनाया जाता है। कहा जाता है कि पुनर्जीवित होने के बाद यानी ईस्टर संडे के बाद ईसा मसीह 40 दिनों तक धरती पर रहे और अपने शिष्यों को प्रेम और करुणा का पाठ पढ़ाया।

 

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ईस्टर संडे के मौके पर ईसाई समुदाय के लोग परिवार और दोस्तों के साथ चर्च में इकट्ठा होते हैं और इस दिन को मनाते हैं। आपको बता दें कि गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। ऐसे में उनके अनुयायियों में दुख की लहर दौड़ गई, लेकिन हुआ यह कि तीसरे दिन के बाद ईसा मसीह पुनर्जीवित हो गए और तभी से उनके अनुयायी इस दिन को खुशी के त्योहार के रूप में मनाने लगे। ऐसा माना जाता है कि ईसा मसीह ईस्टर के बाद 40 दिनों तक धरती पर रहे और बाद में स्वर्ग चले गए। यही कारण है कि इस त्योहार को 40 दिनों तक मनाने की परंपरा है। इस दौरान लोग पहले अपने पूर्वजों को याद करने के लिए कब्रिस्तान जाते हैं और फिर चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं और यीशु के जीवन और शिक्षाओं के बारे में बात करते हैं। घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और लोग पवित्र आत्मा के आगमन का जश्न मनाते हैं।