स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी पर मचा सियासी घमासान

विरोधी पार्टियां खो रही हैं लोगों का भरोसा : सांसद शांतनु सेन

कोलकाता : राज्य में गर्मी का कहर जारी है। इस बीच रविवार को प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूल-कॉलेजों में सोमवार से एक सप्ताह तक छुट्टी की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद सीएम विपक्ष के निशाने पर आ गयी हैं। उनके इस फैसले के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने उन पर जमकर हमला किया।

राज्य के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यह घोषणा मिड-डे-मील चुराने के लिए की गयी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पहले ही 100 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है जिन स्कूलों में मॉर्निंग सेक्शन होते हैं, उन्हें भी इस घोषणा में शामिल किया गया है।

स्कूल बंद करके मिड-डे मील की चावल चोरी का इंतजाम किया जाएगा। राज्य सरकार को दूसरा विकल्प सोचना चाहिए था। अगर स्कूलों को सुबह कर दिया जाय तो छात्रों की पढ़ाई बाधित नहीं होती। शिक्षा के वैकल्पिक मार्ग को जारी रखने की सरकार की मंशा होनी चाहिए थी, लेकिन राज्य सरकार शिक्षा से ज्यादा चोरी को प्राथमिकता देती है।

वहीं, सिलीगुड़ी से बीजेपी विधायक शंकर घोष ने नए सवाल खड़े करते हुए कहा कि मौसम जिस तरह से बदल रहा है, आने वाले दिनों में गर्मी और बढ़ेगी। तो क्या हर समय स्कूल बंद किया जाएगा? इससे तो छात्रों की पढ़ायी बाधित होगी। राज्य सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि उत्तर बंगाल में जलपाईगुड़ी सहित विभिन्न इलाकों में गर्मी और मानसून थोड़ी देर से आती हैं, इसलिए इस घोषणा का कोई मतलब नहीं है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि छुट्टी देना स्थायी समाधान नहीं हो सकता। जब गर्मी के कारण दोपहर में स्कूल नहीं हो सकता है, तो स्कूल का समय सुबह या शाम को हो सकता है। प्राथमिक विद्यालयों को भी इस समय बंद करने का कोई औचित्य नहीं है।

राज्य सरकार को वैकल्पिक पद्धति से शिक्षा जारी रखने की नीति अपनानी चाहिए। लेकिन इस मामले में देखा गया कि मुख्यमंत्री ने बिना कोई वैकल्पिक नीति बनाए छुट्टी की घोषणा कर दी।

सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि ऐसे में दो मई से ग्रीष्मावकाश आगे बढ़ा दिया गया है। उस पर एक और सप्ताह का अवकाश घोषित कर दिया गया। इस छुट्टी के कारण शिक्षा बाधित होगी।

उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? सभी मामलों में सरकार को एक वैकल्पिक विचार रखना चाहिए था। लेकिन सरकार ने कोई अन्य विकल्प नहीं लेते हुए छुट्टी को ही एक मात्र विकल्प के रूप में चुना है।

उधर दूसरी ओर इन सभी लोगों को जवाब देते हुए सांसद शांतनु सेन ने कहा कि विरोधी हर काम का विरोध कर रहे हैं। इससे वे लोगों का भरोसा खो रहे हैं। आम लोगों के मन में उनके खिलाफ गलत भावना हो रही है।

उन्होंने कहा कि सीएम द्वारा लिया गया निर्णय बार-बार सही साबित हुआ है। इस बार कोई अपवाद नहीं होगा। बिना समझदारी और विचार के विरोधियों को उचित समय पर जवाब मिल जाएगा।

Jalpaiguri in North BengalLeader of Opposition Shubhendu Adhikariउत्तर बंगाल में जलपाईगुड़ीनेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारीराज्य में गर्मी का कहर