यूनिफार्म सिविल कोड पर झारखंड में गरमाई सियासत, सत्ता पक्ष ने कानून को विभाजनकारी करार दिया

रांची :  झारखंड में भी यूनिफार्म सिविल कोड (यूसीसी) का मुद्दा गरमा गया है। सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के प्रयासों को विभाजनकारी करार दिया है। झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने यूसीसी लागू करने के मोदी सरकार के प्रयासों को विभाजनकारी बताता। उन्होंने कहा कि देश इसे स्वीकार नहीं करेगा। साथ ही कहा कि यह मोदी सरकार का सिर्फ चुनावी एजेंडा भर है और बेहद गंभीर मुद्दा भी है। सुप्रियो ने कहा कि जब भाजपा और उसके नेता यूसीसी की बात करते हैं तो उन्हें बताना चाहिए कि आदिवासी समुदाय को लेकर उनकी सोच क्या है।

 

उन्होंने जनजातीय समुदायों के रीति रिवाजों को संविधान के आर्टिकल 5 और आर्टिकल 6 का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान से उसे प्रोटेक्शन मिला हुआ है, उसे कैसे चेंज करेंगे? क्या आदिवासी और मूलवासियों को बाहर निकाल दिया जाएगा, यह आज एक बड़ा सवाल है। साथ ही कहा कि ट्राइबल सोसाइटी को लेकर भाजपा की सोच क्या है, यह उन्हें सार्वजनिक करना चाहिए। सरना धर्म कोड का क्या हुआ, यह बताना चाहिए। सुप्रियो ने कहा कि यूसीसी एक मनुवादी सोच भर है और देश उसे स्वीकार नहीं करेगा।

 

झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने यूसीसी लागू किए जाने के प्रयासों को चुनावी लाभ लेने की भाजपा की कोशिश करार दिया। उन्होंने कहा कि जब मणिपुर जल रहा था, तब प्रधानमंत्री अपना बूथ मजबूत कर रहे थे और गृहमंत्री का कहीं अता पता नहीं था। ऐसे में जब भोपाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूसीसी की बात अपने कार्यकर्ताओं से कही, तब देशवासी समझ गए कि कहीं ना कहीं चुनाव होने वाला है। राकेश ने कहा कि अभी यूसीसी को लेकर देशवासियों से राय मांगी गई है। उन्होंने कहा कि राय आने दीजिए। कांग्रेस सही समय पर अपनी बात देश की जनता के सामने रख देगी।

 

राष्ट्रीय जनता दल की प्रदेश उपाध्यक्ष अनिता यादव ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने बहुत सोच समझ कर संविधान की रचना की थी। उन्होंने सभी धर्म और पंथ के लोगों को अपने-अपने तरीके से रहने की आजादी दी थी। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच क्या है, यह तो वहीं जानते हैं लेकिन राजद की राय में सबके लिए एक कानून सही नहीं है।

 

उधर, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने यूसीसी को लेकर कहा कि एक घर में दो अलग-अलग कानून होगा तो कैसे चलेगा। इसलिए एक देश में एक ही कानून चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब देश में क्रिमिनल लॉ एक है, तो सिविल लॉ भी एक होना चाहिए। इसमें कांग्रेस को आखिर क्या परेशानी है। यह तो 75 साल पहले हो जाना चाहिए था। क्योंकि, संविधान के पैरा 44 में इसका स्पष्ट उल्लेख है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट भी सरकार को कई बार कह चुकी है। उन्होंने कहा कि इस लॉ के लागू हो जाने से देश की आधी आबादी खुश होगी। इससे महिलाओं को अपना हक मिलेगा और खास कर मुस्लिम महिलाओं को उनका अधिकार मिलेगा।

 

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