झारखंड हाई कोर्ट में संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष एवं सदस्यों के रिक्त पदों पर हुई सुनवाई

रांची : झारखंड हाई कोर्ट में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित राजकुमार की अवमानना याचिका समेत राज्य के 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष एवं सदस्यों के पद रिक्त रहने को लेकर एडवोकेट एसोसिएशन की जनहित याचिका की भी सुनवाई मंगलवार को हुई। मामले में महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से बताया गया कि सूचना आयुक्त, लोकायुक्त एवं अन्य संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली गई है लेकिन अभी राज्य में लोकसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू है। ऐसे में इन पदों पर नियुक्ति की जा सकती है या नहीं इस पर वह राज्य सरकार से दिशा-निर्देश लेकर बताएंगे। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई।

याचिकाकर्ता राजकुमार की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह ने कोर्ट को बताया कि यदि सूचना आयुक्त समेत अन्य ने संवैधानिक पदों पर नियुक्ति के लिए कोर्ट आदेश देती है तो ये नियुक्ति हो सकती है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 10 अप्रैल निर्धारित की है। राजकुमार की अवमानना याचिका में प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि वर्ष 2020 में हाई कोर्ट ने सूचना आयुक्तों कि नियुक्ति से संबंधित एक याचिका को राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद निष्पादित कर दिया था। उस समय सरकार की ओर से कोर्ट में अंडरटेकिंग देते हुए कहा गया था कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति जल्द कर ली जाएगी। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं होने पर वर्ष 2021 में याचिकाकर्ता राजकुमार ने अवमानना याचिका दाखिल की है।

राज्य सूचना आयोग में रिक्त पदों की नियुक्ति एवं झारखंड में बाल आयोग, सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग, पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी, लोकायुक्त सहित करीब 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष एवं सदस्यों का पद खाली रहने को लेकर एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से भी जनहित याचिका दाखिल की गई है। इसमें कोर्ट को बताया गया था कि करीब पांच वर्षों से राज्य बाल आयोग, सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग, लोकायुक्त आदि संवैधानिक संस्थाओं में पदों के रिक्त रहने से किसी तरह का कोई काम नहीं हो रहा है।

 

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