ऐसा नहीं करना था राहुल

शायद कांग्रेस के नीतिकारों में समय के चयन में कहीं गड़बड़ी हो रही है। फिलहाल राहुल गांधी ने अमेरिका के दौरे पर जो कुछ भी कहा है तथा खासकर भारत सरकार से जुड़ी जिन बातों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उछालने की कोशिश की है, उनकी भाजपा निंदा कर रही है। लेकिन कांग्रेस पार्टी के नजरिए से राहुल गांधी का कथन बिल्कुल सही है क्योंकि उन्होंने नफरत के बदले प्यार की बात कही है, घमंड के बदले विनम्रता का संदेश दिया है। केंद्र की एनडीए सरकार की नीतियों की आलोचना करने में वैसे भी राहुल कभी पीछे नहीं रहते हैं। अगर देखा जाए तो भारत जोड़ो यात्रा के बाद से ही राहुल में एक परिपक्व नेता की तस्वीर देश के लोग देखने लगे हैं तथा आम कांग्रेसी भी राहुल की इस बदली हुई छवि से प्रभावित हो रहे हैं। ज्ञात रहे कि हाल की कर्नाटक विधानसभा की जीत को भी राहुल की बदली हुई सियासत का ही परिणाम बताया जा रहा है। लेकिन जो बात उन्होंने अमेरिका में कही है, जिस तरह से मोदी सरकार के खिलाफ राहुल ने मोर्चाबंदी की है-उस पर थोड़ा विचार करना जरूरी हो गया है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका जाने की तैयारी हो रही है। जिस अमेरिका ने कभी मोदी के प्रवेश पर रोक लगाया था, आज वह मोदी के स्वागत की तैयारी में है। वहां के लोगों को भारत सरकार के पक्ष में लाने की कोशिश की जा रही है। मोदी अपने अमेरिका दौरे पर वहां की संसद को भी संबोधित करेंगे। ऐसे माहौल में राहुल गांधी की बातों का घेरलू राजनीति में क्या असर होगा, अमेरिका में ही उनकी बातों से लोग कितने प्रभावित होकर कांग्रेस के पक्षधर होंगे- यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा राहुल गांधी को यह बात भी याद रखनी चाहिए थी कि जिस मोदी को अमेरिका पसंद नहीं करता था, वह आज इस कदर मजबूर हो गया है कि नेल्सन मंडेला और विंस्टन चर्चिल के समान दर्जा देने को तैयार है। दरअसल राहुल को चाहिए था कि जो बातें अमेरिका में कही जा रही हैं, उन बातों पर भारत में ही मोदी और उनकी पार्टी को घेरते।

ध्य़ान रहे कि व्यक्ति मोदी से किसी की निजी शत्रुता हो सकती है, व्यक्ति मोदी को कोई नापसंद भी कर सकता है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। देश का पीएम जब विदेशी धरती पर पहुंचता है तो भारत की बात करता है। राहुल गांधी को यह बात समझ में कैसे नहीं आई कि जो बातें मोदी के बारे में अमेरिका में कही जा रही हैं, उनका असर भारत में क्या होगा। राहुल की बातों को भाजपा ने अपने तरीके इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। भाजपा का दावा है कि राहुल गांधी भारत की घरेलू राजनीति में विदेशी ताकतों को शामिल करना चाहते हैं। इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो आरोप लगाने वाले ही जानें- मगर कम से कम भारत के लोगों को भाजपा यह जरूर समझाएगी कि अमेरिका में बैठकर भारत सरकार के कामकाज की शिकायत का क्या मतलब है। जाहिर है कि सीधे-सादे भारतीय लोगों को यही समझ में आएगा कि राहुल क्या अमेरिका को भारत का अभिभावक समझते हैं। आमतौर पर शिकायत तो लोग अभिभावकों से ही किया करते हैं। राहुल गांधी को यह शिकायत समय की नब्ज समझ कर भारत में ही करनी चाहिए थी।

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