हिल स्टेशन कहे जाने वाली रांची को लगी नजर…

झारखंड में इन दिनो सूरज देव का पारा सातवे आसमान पर नजर आ रहा है

स्निग्धा

रांची : झारखंड में इन दिनो सूरज देव का पारा सातवे आसमान पर नजर आ रहा है. राजधानी रांची समेत आसपास के जिलों में गर्मी की तपिश लोगों को सताने लगी है. राज्य में तापमान बढने लगा है. तपती धूप से लोगों को गर्मी से राहत नही मिल रहा. हालत ये है की सुबह के 9 बजते ही गर्मी का प्रकोप दिखने लगता है .दिनभर तेज धूप के कारण राज्य में हीट वेव की हालत बन गई है. मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, जब मैदानी इलाके का अधिकतम तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस हो या फिर पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस हो, तभी क्षेत्र में हीटवेव घोषित की जाती है. ये दोनों ही परिस्थिति फिलहाल झारखंड पर लागू होती है, क्योंकि इस राज्य में एक ओर मैदानी इलाके हैं तो दूसरी ओर पहाड़ी क्षेत्र और फिलहाल यहां का तापमान भी बढ़ा हुआ है.

 

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झारखंड में बेरहम मौसम

झारखंड के गोड्डा जिले में पारा 45.1 डिग्री के पार जा चुका है. सुबह नौ बजे के बाद बिना विशेष तैयारी किए घर से निकलने का मतलब है जान को जोखिम में डालना. लू लगने का खतरा है. गर्म हवा चल रही है, ऊपर से बिजली की कटौती मुसीबत बढ़ा रही है. सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चे झेल रहे हैं.

 

गर्मी का आगाज ऐसा है तो अंजाम कैसा ?

वही मौसम वैज्ञानिको की माने तो गर्मी का असर लगातार बढ़ रहा है और दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक बाहर न निकलें तो स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा. इससे चक्कर आने और नाक से खून गिरने की समस्या हो सकती है.हीटवेव चलने की आशंका है इसलिए लू लग सकता है. लोग घर में रहें और ठंडक प्रदान करने वाली खाद्य सामग्री ही इस्तेमाल में लाएं. मौसम विभाग के अनुसार, रांची, बोकारो, रामगढ़, गुमला, हजारीबाग, खूंटी में 16 अप्रैल तक अधिक तापमान 38 से 42 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है.वही दक्षिणी हिस्से सिंहभूम, सिमडेगा, सरायकेला खरसावां में अधिकतम तापमान 41 से 44 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना जताई जा रही है. इसके साथ ही प्रशासमम के आदेश के बिना ही राज्य के कई स्कूलों ने बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए स्कूल के टाईमिंग में बदलाव किये है.ताकी बच्चों के सेगृहत पर कोई सलर ना पड़े.

 

गर्मी से लोगों का हाल बेहाल

वही इस बेहाल करने वाली गर्मी के कारण राज्य में पानी की समस्या भी लोगों को सता रही है.
वैसे अक बात तो गौर करने वाली है रांची को कभी हिल स्टेशन कहा जाता था. लोग यहां गर्मियों के मौसम में राहत पाने और यहां के आबो हवा में रिलेक्स होने आते थे..लेकिन इस राज्य में भी प्रकृति के साथ इतने खिलावड़ हुए जिसका नतिजा ज सब भुगत रहे है…जहां कभी शिमला के बाद रांची में लोग धूमने आते थे..आज वहां के लोग गर्मी से त्रहिमाम कर रहे है. अब भी वक्त है प्रकृति के प्रति सचेत होने की और इसे बचाने की नहीं तो आगे हाल और बुरा होने वाला है.