कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए रिम्स प्रबंधन ने पूरी की तैयारी

300 बेड किये गये तैयार

रांची: कोविड 19 के केस एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं। दुनिया के विभिन्न देशों के साथ साथ भारत में भी नए मामले में वृद्धि देखी जा रही है। इसको लेकर झारखंड में भी तैयारी पूरी कर ली गई है। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की बात करें तो नये वेरीयंट बीएफ 7 को देखते हुए अस्पताल में सारी तैयारियां कर ली गई है।
माइक्रो बायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष ने बताया कि कोरोना केस जब कम होने लगे थे तो जांच की संख्या भी कम हो गई थी। लेकिन जैसे ही नए वेरिएंट को लेकर राज्य भर में अलर्ट जारी किया गया है, वैसे ही रिम्स में भी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। उन्होंने बताया कि कोरोना के सैंपल की जांच को लेकर रिम्स में कोबास मशीन और आरटी-पीसीआर को पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि जांच कीट के लिए भी विभाग की तरफ से सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। उम्मीद है कि जल्द से जल्द बीस हजार सैंपलों की जांच कीट रिम्स पहुंच जाएंगी । उन्होंने बताया कि जैसेही कोरोना के केस बढ़ने लगेवैसेही रिम्स ने जांच की संख्या बढ़ा दी है. दिसंबर माह में अभी तक 1500 सेज्यादा लोगों के सैंपल जांच किए गए हैं। जिसमेंकोई भी पॉजिटिव नहीं मिला है।
उन्होंने बताया कि आईसीएमआर की तरफ से गाइडलाइन जारी कर बताया गया है कि जहां भी कोरोना के जांच हो रहे हैं। यदि वहां पर लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं तो उनके सैंपल को संरक्षित या प्रिजर्व करके रखना है। खास करके वैसे सैंपल को प्रिजर्व करना है, जिसका सिटी वैल्यू 30 से कम है. उस सैंपल को कोरियर के माध्यम से आईसीएमआर द्वारा मान्यता प्राप्त जिनोम सीक्वेंसिंग लैब में भेजा जाएगा, ताकि उसका वैरीअंट पता चल सके। रिम्स के जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन की बात करेंतो अभी तक जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन को आईसीएमआर की तरफ से अधिकृत नहीं किया गया है। जिस वजह से यहां पर वैरीएंट एं की जांच नहीं हो सकती है। वही आपको बता दें कि जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन में जांच के लिए कम से कम 96 सैंपल का होना जरूरी है। यदि 96 सैंपल से कम होता हैतो सीक्वेंसिंग की कीमत बहुत ज्यादा हो जाती है. इसलिए जब तक 96 पॉजिटिव सैंपल को जमा नहीं किया जाता, तब तक जिनोम सीक्वेंसिंग करना मुश्किल हो जाता है। डॉ देवेश ने कहा कि जो सैंपल अभी पाए जा रहे हैं। वह निश्चित रूप से मारक हो सकता है। डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ शैलेश त्रिपाठी ने बताया कि जिस तरह सेकोरोना के केस चाइना और अन्य देशों में बढ़ रहे हैं। इसको देखते हुए झारखंड का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट है। रिम्स में भी करीब 300 बेड डेंगू वार्ड में तैयार किए गए हैं। वहीं 50 बेड नए ट्रॉमा सेंटर में लगाए गए हैं। यदि मरीजों की संख्या बढ़ती है तो तुरंत ही उन्हें आक्सीजन सपोर्टेड बेड के साथ भर्ती किया जा सकता है। इसके अलावा पूर्व में जो इंतजाम किए गए थे उन सारे इंतजाम को भी जारी रखा गया है। यदि मरीज हजारों की संख्या में आते हैंतो उसको लेकर भी पार्किंग जोन में तैयारियां कर ली गई है। माइक्रो बायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक प्रसाद बताते हैं कि किट खरीदने को लेकर रिम्स प्रबंधन को सूचित कर दिया गया है. उम्मीद हैकि जेम (ॠएट) पोर्टल के माध्यम से जल्द से जल्द सारे किट खरीद लिए जाएंगे एं . उन्होंने बताया कि आईसीएमआर का जो भी गाइडलाइन जारी किया गया है। उस हिसाब सेरिम्स के सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों को ट्रेनिंग दी गई है। ताकि विशेष परिस्थिति मेंकिसी भी कोविड-19 के मरीजों को समस्या का सामना ना करना पड़े। डॉ शैलेश त्रिपाठी ने बताया कि जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन को लेकर आईसीएमआर को एक बार फिर से जानकारी दी गई है। ताकि जल्द से जल्द रिम्स की जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन की जांच का रिपोर्ट आईसीएमआर के द्वारा अधिकृत किया जा सके।

 

 

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