कोल्हान में फैले भ्रष्टाचार पर बिदके ग्रामीण संवेदक संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार सिरका

चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम में जिला में भ्रष्टाचार चरम पर है। यहां भूत भगाने वाले सरसों में ही भूत घुस गया है। पश्चिमी सिंहभूम जिला प्रशासन एक ही विभाग ग्रामीण विकास विशेष प्रमण्डल पर मेहरबान है। इस विभाग को एससीए , अनटाइड फंड , पर्यटन मद सहित विभिन्न मद से लगभग 100 करोड़ का काम जिला प्रशासन द्वारा दिया गया है। यह आरोप ग्रामीण संवेदक संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार सिरका ने लगाया है। एक संवाददाता सम्मेलन में श्री सिरका ने कहा कि पता नहीं इस भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे विभाग पर जिला प्रशासन क्यों मेहरबान है। श्री सिरका ने कहा कि घुस लेते रंगे हाथों पकड़े गए ग्रामीण विकास विशेष प्रमण्डल के प्रमंडलीय रोकड़पाल बीटी सिंह वस्तुतः विभाग के भण्डारपाल हैं , उनको रोकड़पाल जैसा महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया था।

 

इसी तरह विभाग के एक डिस्पैच क्लर्क महेंद्र यादव को 158 विकास योजनाओं का फाइल दिया गया है। श्री सिरका ने कहा कि जिला में भ्रष्टाचार चरम पर है। सीएस ( तुलनात्मक विवरणी ) के नाम पर अवैध वसूली की जा रही हैऔर छोटे संवेदकों से भारी रकम वसूली जा रही है। ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल में तो सीएस के नाम पर बोली लगती है। इसमें 8 से लेकर 14 -15 प्रतिशत की राशि वसूली जाती है। जिसका उदाहरण है कि एक साथ निविदा होती है और कार्यादेश अलग अलग दिन ही नही अलग अलग महीने में पैसा मिलने के बाद दिया जाता है।

 

कागजों की जांच करने से इसकी पुष्टि की जा सकती है। छोटे संवेदकों को काम लेने के लिए उधार लेकर पैसा देना पड़ता है। श्री सिरका ने आरोप लगाया कि इस खेल में बड़े अधिकारी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि शिकायत के बाद भी इस पर कार्रवाई नही होती है। अगर उनलोगों की शिकायत पर कार्रवाई हुई होती तो घुस की रकम के साथ एक कर्मचारी के पकड़े जाने जैसी शर्मनाक घटना इस जिले में नही घटती। उन्होंने कहा कि एक आदिवासी अधिकारी को हटा कर सदर प्रखंड की प्रखंड विकास पदाधिकारी को डीएमएफटी का नोडल पदाधिकारी बना दिया गया हैं। श्री सिरका एवं संघ के सचिव नारायण बानरा ने कहा कि भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नही होती है। विशेष प्रमण्डल में कमीशनखोरी के खिलाफ उनलोगों ने विभाग के मंत्री , डीसी और कार्यपालक अभियंता से फरवरी माह में ही शिकायत की थी , लेकिन नतीजा शून्य निकला।