शिशु पंजीकरण के कार्य में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों एवं पदाधिकारियों पर गिरेगी गाज

रांची : समग्र शिक्षा के तहत आउट ऑफ स्कूल एवं ड्रॉप आउट बच्चों के लिए शिशु पंजीकरण अद्यतन कार्यों की समीक्षा के लिए राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी के निर्देशानुसार राज्य के 24 जिलों के लिए राज्यस्तरीय टीम का गठन किया गया है। हर जिले में सात जनवरी, तक भ्रमण कर अनुश्रवण दल के पदाधिकारियों को शिशु पंजीकरण कार्यों की समीक्षा कर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
इस समीक्षा के दौरान पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों) के क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया है।

राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक ने अनुश्रवण दलों में शामिल पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश देते हुए कहा है कि ऐसे शिक्षक, शिक्षा पदाधिकारी या विद्यालय के अधिकारी जो शिशु पंजीकरण कार्यों में लापरवाही बरत रहे है, उन्हें चिन्हित कर विभागीय कार्रवाई के लिए अनुशंसा करे। समीक्षा के दौरान यदि स्कूलों के द्वारा दिए गए आंकड़ों में किसी तरह की गड़बड़ी पायी जाती है, तो इसकी सूचना तत्काल उपलब्ध कराये। उन्होंने प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों के कामकाज की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया। साथ ही अनुश्रवण पदाधिकारियों को जिलों के भ्रमण के दौरान जिला शिक्षा पदाधिकारियों से समन्वय स्थापित करते हुए पीवीटीजी बहुल गांवों के निरीक्षण का निर्देश भी दिया गया है।

शिशु पंजीकरण गैर शैक्षणिक नहीं, कोर शैक्षणिक कार्य है :

अनुश्रवण दलों के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक ने कहा कि ऐसे कई विद्यालय है, जिनके शिक्षक अपने पोषक क्षेत्रों में घर घर जाकर शिशु पंजीकरण के कार्यों को गैर शैक्षणिक कार्य मानकर नहीं करते। यह गलत है। शिशु पंजीकरण गैर शैक्षणिक नहीं, बल्कि मुख्य शैक्षणिक कार्य है। उन्होंने पदाधिकारियों को निर्देशित करते हुए ऐसे स्कूलों के शिक्षकों को चिन्हित कर कार्रवाई की अनुशंसा का निर्देश दिया है। उन्होंने जनवरी के महीने को शिशु पंजीकरण माह के रूप में मनाने का लक्ष्य पदाधिकारियों को देते हुए प्रतिदिन इस कार्य की वर्चुअल समीक्षा का निर्देश दिया है।

स्कूलों की आधारभूत संरचना की जानकारी भी लें :

किरण कुमारी पासी ने अनुश्रवण दलों के पदाधिकारियों को स्कूलों में भ्रमण कर विद्यालयों के आधारभूत संरचनाओं, स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं, स्कूल के आसपास का माहौल, सुरक्षा आदि की जानकारी भी एकत्रित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने पदाधिकारियों को जिला मुख्यालय से दूरदराज के क्षेत्रों में जाकर स्कूलों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया ताकि स्कूलों द्वारा उपलब्ध जानकारियों की जमीनी हकीकत का पता लगाया जा सके।

एक माह से अधिक ड्राप आउट बच्चे को भी आउट ऑफ स्कूल मानें :

अनुश्रवण दल के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए राज्य कार्य प्राधिकारी विनीता तिर्की ने कहा कि ऐसे बच्चे जिन्हें ड्रॉप आउट किये हुए एक माह से अधिक हो गया है, उन्हें भी आउट ऑफ स्कूल ही माना जाए। ऐसे बच्चों को पुनः शिक्षा से जोड़ने के लिए विद्यालय के शिक्षक विद्यालय पोषक क्षेत्रों में घर-घर जाकर अभियान चलाये। साथ ही उपलब्ध आंकड़ों को प्रबंध पोर्टल पर अपलोड करे। राज्य पदाधिकारी बादल राज ने अनुश्रवण पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि ऐसे विद्यालय जो जीरो ड्रॉप आउट का दावा करते है, उनकी पड़ताल करे। यदि दावों में सच्चाई हो, तो ऐसे विद्यालयों को प्रोत्साहित भी करें।

नवंबर महीने से हो रहा है सर्वेक्षण :

आउट ऑफ स्कूल एवं ड्रॉप आउट बच्चों के लिए शिशु पंजीकरण के सर्वेक्षण का काम गत वर्ष के नवंबर महीने से ही जारी है। विभागीय निर्देश के बाद प्रत्येक विद्यालय अपने अपने पोषक क्षेत्रों में इस कार्य को पूरा कर रहे है। तीन से 18 आयुवर्ग के बच्चों के लिए नयी शिक्षा नीति एवं शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत स्कूली शिक्षा अनिवार्य है। इसमें प्री प्राइमरी, प्राइमरी, एलिमेंट्री और सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं। अबतक राज्य को प्राप्त आंकड़ों के तहत 56.49 प्रतिशत सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है।

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