युवा कवि जवाहरलाल बांकिरा द्वारा रचित पहला हिंदी कविता “देशौली और इमली का पेड़” दिल्ली में हुआ जारी

चाईबासा। चाईबासा के साहित्यकार जवाहरलाल बांकिरा की पहली हिंदी काव्य पुस्तक ‘देशाउलि और इमली का पेड़’ का विमोचन नई दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेला में हुई।कोल्हान की वीर भूमि में जन्मे और एस.पी.जी.मिशन स्कूल चाईबासा से ककहरा सीखकर और टाटा कॉलेज, चाईबासा में पढ़ने के दरम्यान बी.बी.सी. हिन्दी सेवा से प्रसारित कार्यक्रमों के बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त कर और समाचार पत्रों में जनसमस्याओं पर शिकायत पत्र लिखते-लिखते साहित्यकार बन गये जवाहरलाल बांकिरा ।मूल रूप से चक्रधरपुर प्रखंड अंतर्गत तिलोपदा, केरा निवासी जवाहरलाल की संवेदनशीलता उनकी पहली हिन्दी कविता संग्रह “देशाउली और इमली का पेड़” आदिवासियों की अस्मिता, दुख,दर्द, प्रतिरोध और जल-जंगल-जमीन की समस्याओं को व्यक्त करने का प्रयास है।

 

इस पुस्तक में 77 कविताएँ संकलित हैं l इन कविताओं के केन्द्र में आदिवासी जीवन-दर्शन, प्रकृति संरक्षण, सहज-सरल जीवन किस तरह डिजिटल दौर में वैश्विक बाजारीकरण के चलते बुरी तरह प्रभावित होकर मुख्यधारा में न मिल पा रही है और न ही स्वाभाविक तौर पर सांस ले पा रही है l कविताओं में सदियों से वंचना के शिकार आदिवासी जन के बुरे दौर का मार्मिक चित्रण किया गया है lइसके अलावा काव्य संग्रह में आदिवासी जीवन के रहन-सहन, संस्कृति,सोच व भावनाओं की सजीव चित्रण किया गया है। विशेषकर पलायन की विभिन्न पहलुओं पर मार्मिक तथ्यों का संवेदनापूर्ण अभिव्यक्ति कर इससे निजात पाने की गुहार सामुदायिक एवं राजकीय व्यवस्था से किया गया है।यह काव्य संग्रह मानवीय मूल्यों को नजदीक से देखने हेतु हमें स्वाभाविक रूप से प्रेरित कर नई सोच के साथ आगे बढ़ने की सीख प्रदान करने वाली है। बचपन में पढ़ाई -लिखाई से चुराने वाले एकलव्य की मानसिकता से लेखन करते -करते लेखक बने जवाहर ने हो भाषा -साहित्य की बहुपयोगी पुस्तक “हो हयम ओंडो: सनागोम”, ‘सारंडा सकम’, का वार्षिक पत्रिकाओं का संपादन का कार्य किया है।

 

इसके अलावा आदिवासी हो भाषा साहित्य संस्कृति पर विभिन्न सेमिनारों के लिए आलेख लेखन करने का अनुभव प्राप्त है। राज्य स्तर पर अखबार में सेयां मरसल उलगुलान और अडाकन हो सरीखे जागरूकता पर आधारित कविताएं प्रकाशित हो चुकी है। साहित्यकार जवाहरलाल के काव्य संग्रह का विमोचन देश की राजधानी में होने पर बीडीओ साधुचरण देवगम,प्रोफेसर बलभद्र बिरुवा, जगन्नाथ हेस्सा,सालेन पाट पिंगुवा,कृष्णा देवगम,रांधो देवगम,दुंबी दिग्गी,विमल किशोर बोयपाई, संजय कुमार जारिका,सिंगराय बोदरा,दिलदार पुरती,सिकंदर बुड़ीउली,राकेश जोंको आदि ने हर्ष व्यक्त किया है।

 

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