अस्थायी अग्निशामकों के कार्यकाल को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

कोलकाता : अस्थायी अग्निशामकों का कार्यकाल बढ़ाने के लिये राज्य सरकार सवालों के घेरे में है। कोर्ट यह जानना चाहता है कि अस्थायी अग्निशामकों का कार्यकाल अचानक एक साल की बजाय चार साल क्यों कर दिया गया है। मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई की गई। इस मामले को लेकर न्यायमूर्ति देवांशु बसाक ने कहा कि जिन सभी नियुक्त कर्मचारियों का कार्यकाल बढ़ाया गया है, उन्हें बर्खास्त किया जाए। जज ने ये भी कहा कि एक साल के लिए नियुक्ति जीवन भर के लिए नहीं की जा सकती। यह किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।

इस दिन प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान एजी सौमेंद्रनाथ मुखोपाध्याय ने फायर ब्रिगेड चयन समिति ने 25 लोगों का चयन किया। 2017 की अधिसूचना के अनुसार, उन्हें 2019 में नियुक्त किया गया था। भले ही कार्यकाल एक साल का हो, सरकार उनका कार्यकाल बढ़ा सकती है। पश्चिम बंगाल अग्निशमन सेवा अधिनियम के अनुसार, 50 प्रतिशत अग्निशमन दल स्थायी पद हैं। इनकी नियुक्ति सीधे तौर पर की जाती है। 1,500 रिक्तियों में से शेष 50 प्रतिशत रिक्तियां सहायक स्वयंसेवकों की हैं। हालांकि कोर्ट इस जानकारी से खुश नहीं है। खंडपीठ ने राज्य को अगले 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अग्निशमन सूत्रों के अनुसार, दुर्गापार, सिलीगुड़ी, हावड़ा और अग्निशमन विभाग मुख्यालय में पांच उप निदेशक के पद खाली हैं। फायर कंट्रोल रूम के कर्मचारी, अधिकारी, उप अधिकारी और स्टेशन अधिकारी के साढ़े पांच हजार पद खाली हैं।

बताया जा रहा है कि पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक, अग्निशमन विभाग में लगभग 1,200 अस्थायी कर्मचारी हैं। नई नियुक्तियों के बदले उनका कार्यकाल एक साल से बढ़ाकर चार साल कर दिया गया लेकिन इस तरह से अस्थायी कर्मचारियों का कार्यकाल बढ़ाकर राज्य कैसे कार्यालय संभालेगा? इसे लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। इसी के आधार पर कोर्ट ने यह अहम सवाल उठाये हैं।

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