गौड़ समुदाय के लोग पिछले सात दिनों से बंदी की तरह रहने को विवश

चाईबासा : सदर प्रखंड अंतर्गत मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के खूंटा गांव के गौड़ समुदाय के लोग पिछले सात दिनों से बंदी की तरह रहने को विवश है. चूंकि गांव के ग्रामीणों ने गौड़ समाज के लोगों पर गांव के मवेशियों को चराने का दबाव बना रहे हैं. जब समाज के लोगों ने मवेशी चराने से इंकार कर दिया तो ग्रामीणों ने इन लोगों के आने जाने वाली मुख्य गली को झाड़ी से घेर कर रास्ता बंद कर दिया है. यह मामला विगत 5 जुलाई से चल रहा है.

इस मामले में प्रशासनिक पदाधिकारियों ने भी समाज के लोगों पर दबाव बनाते हुए मवेशी चराने का फैसला सुना दिया है. इससे नाराज गौड़ समाज के लोगों ने 11 जुलाई को न्याय की गुहार लगाने के लिए उपायुक्त अनन्य मित्तल से मिलने पहुंचे हुए थे. समाज के लोगों ने यहां उपायुक्त से मिलकर मामले की पूरी जानकारी दी. मौके पर सदर एसडीओ शशींद्र बड़ाइक भी मौजूद थे.

उपायुक्त ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीओ से कहा कि प्रशासनिक पदाधिकारियों समेत खूंटा गांव के दोनों पक्षों की बैठक कर मामला को सुलझाएं. हालांकि इसकी शिकायत दो दिन पूर्व ही गौड़ समाज के लोगों ने सदर एसडीओ से कर चुके है. एसडीओ के निर्देश पर 10 जुलाई को सदर बीडीओ पारूल सिंह, सीओ एवं मुफ्फसिल थाना प्रभारी पवन पाठक की मौजूदगी में खूंटा गांव में बैठक भी हुई.

गौड़ समाज के लोगों के अनुसार बैठक में शामिल प्रशासनिक पदाधिकारियों ने भी गौड़ समाज के लोगों पर मवेशी चराने का दबाव बनाते हुए मवेशी चराने का फैसला सुना दिया. प्रशासनिक पदाधिकारियों के फैसले से नाराज होकर कई लोग बैठक से उठकर चले गए. कुछ लोग डरे सहमे ग्रामसभा की रजिस्टर पर हस्ताक्षर भी कर दिए.

गौड़ समाज के लोगों को कहना है कि मवेशी चराने के इच्छुक लोग चरा सकते हैं.  इसमें कोई आपत्ति नहीं. कुछ लोग तो मवेशी चरा भी रहे हैं. लेकिन पूरे समाज के लोगों के लिए यह फरमान कताई मंजूर नही है. प्रशासनिक पदाधिकारियों के इस फैसला गलत है. इससे नाराज गौड़ समाज के लोगों ने मंगलवार को उपायुक्त एक ज्ञापन सौंपकर न्याय दिलाने की गुहार लगायी है. इसकी प्रतिलिपि कोल्हान आयुक्त व मानवाधिकार आयोग को भी भेजी गयी.

 

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दरअसल गौड़ समाज के लोग वर्षों से खूंटा गांव में रहते आ रहे हैं. कुछ लोग अब भी गाय-बैल बकरी चराकर अपना जीविका चला रहे हैं. कुछ लोग आज भी मवेशी चरा रहे हैं. लेकिन खूंटा गांव के ग्रामीणों ने पूरे समाज के लोगों पर जबरन गाय-बैल, बकरी चराने के लिए दबाव बना रहे हैं. जब गौड़ समाज के लोग इसे मानने को तैयार नहीं हुए तो इन लोगों के आने-जाने का रास्ता झाड़ियों से घेर कर पूरी तरह से बंद कर दिया. यही नहीं बातें नहीं मानने पर गौड़ समाज के लोगों को यहां से भगा देने की धमकी दी जा रही है. तब गौड़ समाज के लोगों ने 5 जुलाई को मुफ्फसिल थाना पहुंच कर न्याय की गुहार लगायी थी.

आनन-फानन से मुफ्फसिल थाने की पुलिस खूंटा गांव के ग्रामीण मुंडा सिकंदर बारी व अन्य ग्रामीणों को बुलाकर आने-जाने का रास्ता छोड़ देने का निर्देश दिया था. इसके बाद शाम होते-होते रास्ता को खोल दिया गया. लेकिन दूसरे दिन सुबह फिर से कुछ ग्रामीणों ने रास्ता को झाड़ियों से घेर कर बंद कर दिया. इससे गौड़ समाज के लोगों को आने जाने कठिनाई हो रही है. यही नहीं गौड़ समाज के लोगों का गाय-बैल व बकरी भी घर के अंदर बांधे के बांधे रह गए हैं. यहां तक कि पढ़ाई कर रहे बच्चे स्कूल कॉलेज तक नहीं जा पा रहे हैं.