पानी की तरह बह गया झारखंड के किसानों का मंसूबा

बोकारो : बोकारो के चास और चंदनकियारी के 54 गांवों के एक लाख से ज्यादा किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने की महत्वाकांक्षी गवाई बराज परियोजना बदकिस्मती से जुडी़ हुई है। 70के दशक में बनी यह महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना अब तक एक ईंच भी खेतों को नहीं सिंच सकी है। 70 के दशक में बनकर तैयार हुई यह परियोजना पहले उबर खाबड नहर के कारण फलाप साबित हुई। इस परियोजना पर कई चरणों में करोडों की रकम सरकार ने पानी की तरह बहाए, मगर नहर से पानी नहीं बह सका। चार साल पहले 2019 में इस परियोजना को नये सिरे से बनाने का काम शुरु किया गया।करीब 131 करोड़ की राशि सरकार ने अपने खजाने से इस पर एक बार फिर बहा दिए।जैसे तैसे नहर पानी बहाने लायक तैयार हुई,मगर जब उसका ट्रायल शुरू किया गया तो नहर भरभरा कर टूट गई और एक बार फिर इस नहर से किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का सपना धराशायी होकर रह गया।इस नहर के बनने से उत्साहित किसान अब इस घटना के बाद मायूस होकर नहर के घटिया निर्माण का सवाल उठा रहे हैं और ठेकेदार तथा इस नहर को लेकर अपनी पीठ थपथपाने वाले जनप्रतिनिधियों को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं। यह नहर कई जगहों से क्षतिग्रस्त हुई है।नहर की एक शाखा सिलफोर और डाबरबहाल गांव के पास टूट गई और सारा पानी इधर-उधर बहकर बर्बाद हो गया। इसी के साथ इस नहर की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाया गया है और जांच की मांग की जाने लगी है।

 

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