नए और पुराने की खींचतान में उलझी 26 साल तृणमूल कांग्रेस

अभिषेक बनर्जी की राय

कोलकाता :  पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस आज 26 साल पूरे कर 27 वें वर्ष में प्रवेश कर गई है। 01 जनवरी 1998 को पार्टी के गठन के बाद आज सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के 26 साल पूरे होने के बीच इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि क्या पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को युवा पीढ़ी के नेताओं के लिए रास्ता बनाना चाहिए?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अनुभवी नेताओं का समर्थन कर रही हैं जबकि उनके भतीजे अभिषेक बुजुर्ग नेताओं की सेवानिवृत्ति की वकालत कर रहे हैं। बुजुर्ग नेताओं बनाम नई पीढ़ी के नेताओं के बीच छिड़ी इस बहस के बीच मुख्यमंत्री बनर्जी ने पिछले महीने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का सम्मान किये जाने का आह्वान किया था जिसके बाद इस तरह के दावे खारिज हो गये थे कि बुजुर्ग नेताओं को राजनीति से सेवानिवृत्त किया जाना चाहिए।

अभिषेक बनर्जी की राय

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बढ़ती उम्र के साथ कार्य कुशलता में गिरावट का हवाला देते हुए कहा था कि राजनीति में सेवानिवृत्ति की उम्र होनी चाहिए। अभिषेक बनर्जी के करीबी माने जाने वाले पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया कि पुराने और नये नेताओं के बीच कोई खींचतान नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि पुराने नेताओं को यह पता होना चाहिए कि कहां रुकना है और उन्हें अगली पीढ़ी के नेताओं के लिए जगह बनाने की जरूरत है।

घोष के इस बयान पर हालांकि बहस तब तेज हो गई थी जब 70 वर्ष से अधिक उम्र के कई मौजूदा सांसदों, मंत्रियों और विभिन्न पदों पर आसीन कई वरिष्ठ नेताओं ने घोष की टिप्पणी का विरोध किया।

वरिष्ठ नेताओं की अलग राय

तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में पार्टी नेता सुदीप बनर्जी ने कहा कि ममता बनर्जी पार्टी प्रमुख हैं। उनका निर्णय अंतिम है। यदि उन्हें लगता है कि कोई सेवानिवृत्त होने लायक हो गया है, तो वह सेवानिवृत्त हो जायेगा। यदि उन्हें (ममता बनर्जी) लगता है कि ऐसा नहीं है तो वह व्यक्ति पार्टी के लिए काम करता रहेगा।

74 साल के सुदीप बनर्जी ने कहा कि इस बहस का कोई मतलब नहीं है क्योंकि पार्टी को युवा और वरिष्ठ सदस्यों दोनों की जरूरत है। इसी तरह की भावनाओं को व्यक्त करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा कि पार्टी के भीतर उम्र कोई समस्या नहीं है। वरिष्ठों और अगली पीढ़ी के नेताओं की भूमिकाओं पर अंतिम निर्णय ममता बनर्जी पर निर्भर है। 76 साल के सौगत रॉय ने कहा कि वही (मुख्यमंत्री) तय करती हैं कि कौन चुनाव लड़ेगा या पार्टी में किस पद पर रहेगा। वह अंतिम निर्णय लेने वाली हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बनर्जी और रॉय दोनों उन नेताओं की सूची में शीर्ष पर हैं जिन पर पार्टी में प्रस्तावित आयु सीमा लागू होने पर प्रभाव पड़ सकता है।
बोले फिरहाद
मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ मंत्री फिरहाद हाकिम ने भी कहा कि केवल वही (मुख्यमंत्री बनर्जी) अधिकतम आयु सीमा या एक व्यक्ति-एक पद के प्रस्ताव पर निर्णय ले सकती हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा कि उम्रदराज नेताओं को बाहर करने और अभिषेक बनर्जी द्वारा चुने गए युवा नेताओं के लिए रास्ता बनाने के लिए उम्र सीमा और एक व्यक्ति-एक पद की मांग बढ़ रही है।तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बेहतर होता कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह बहस नहीं होती क्योंकि यह हमारी चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।

 विशेषज्ञों की सोच
राजनीतिक विशेषज्ञ विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि यह बहस आगामी संसदीय चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस में पुराने और नये नेताओं की लड़ाई ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया आयाम जोड़ दिया है। यदि इस बहस को तुरंत समाप्त नहीं किया गया तो इससे लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की संभावनाओं पर असर पड़ेगा। एक अन्य राजनीतिक विशेषज्ञ मैदुल इस्लाम ने कहा कि यह बहस निश्चित रूप से पार्टी नेतृत्व के लिए चिंता का सबब है।

new and oldSenior Minister Firhad Hakimtug of war between the new and the oldWest Bengal's ruling party Trinamool Congressनए और पुरानेनए और पुराने की खींचतानपश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेसवरिष्ठ मंत्री फिरहाद हाकिम