इंजीनियर बनना चाहती थी, सिरफिरे की शिकार बन गई

रांची : वह, बूटी बस्ती स्थित अपने घर में रहती थी. हर दिन इंजीनियरिंग कॉलेज जाना, वापस लौटना. फिर पढ़ाई में जुट जाना. लक्ष्य था-कैरियर संवारना. खुद की और अपने परिवार की जिंदगी को बेहतर बनाना. किसी भी तरह की अनहोनी से अनजान 15 दिसंबर, 2016 की रात वह खाना खाकर सो गई थी. उसे अंदाजा भी नहीं था कि वह रात उसकी जिंदगी की आखिरी रात साबित होगी. उसी मुहल्ले में रहने वाला युवक राहुल, जो खुद को ऑटो चालक बताकर कमरा लिया था, उसने ऐसा कृत्य किया, जिसने सबका दिल दहला दिया. दुष्कर्म, हत्या और फिर पीड़ित की जला देने की घटना ने शहर को परेशान कर दिया था. सुबह में पड़ोसियों ने जब घर से धुआं निकलता देखा, तो कमरे के भीतर जाकर देखा. लोगों को जला हुआ शव दिखा. युवती के परिजनों के साथ-साथ पुलिस को सूचना दी गई. घटना की जानकारी मिलने के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने कैंडल मार्च निकाला. जिसमें अन्य कॉलेज के छात्र व स्थानीय लोग भी शामिल हुए.

रांची पुलिस इस लोमहर्षक घटना को अंजाम देने वाले अपराधी को नहीं खोज पायी. लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा था और पुलिस परेशान थी. कई युवकों को हिरासत में लिया, उनमें हत्या करने वाला कोई भी नहीं था. धीरे-धीरे लोगों का गुस्सा शांत होता गया और स्थानीय पुलिस भी शांत पड़ गई. दूसरे कामों में उलझ गई. यह सब दो साल तक चला. ना मुहल्ले के लोगों को कुछ समझ आया, ना ही पुलिस को. हत्या करने वाला सिरफिरा राहुल ने तो मान लिया था कि अब वह कभी नहीं पकड़ा जायेगा. वह रांची छोड़ कर लखनऊ में आराम से रह रहा था. शायद किसी अन्य शिकार की तलाश में भी हो. क्योंकि उसका कैरेक्टर ही आपराधिक रहा था. वर्ष 2018 में सरकार ने मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया. 28 मार्च 2018 को सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की और मामले का अनुसंधान शुरु किया. सीबीआई ने इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का इस्तेमाल करके किसी तरह यह जानकारी जुटायी कि एक युवक, जो घटना के दो-तीन माह पहले से उसी बस्ती में रह रहा था, घटना के बाद से लापता है. सीबीआई को पता चला कि वह हाल ही में बूटी बस्ती में रहने आया था. जहां वह रह रहा था, वहां उसने सबको यही बताया था कि वह ऑटो चलाता है. सीबीआई को यह जानकारी भी मिली कि वह मूल रूप से बिहार के नालंदा के धुर गांव का रहने वाला है और उसका असली नाम राहुल है. जबकि बूटी बस्ती में उसने अपना नाम अमित, उर्फ राज श्रीवास्तव उर्फ अंकित बताया था. नालंदा में उसका आपराधिक इतिहास भी रहा है. सीबीआई की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, वैसे-वैसे राहुल के पुराने कारनामों का राज खुलता चला गया. पता चला कि पटना व नालंदा में उसने दुष्कर्म, साइबर अपराध जैसे अनेकों घटनाओं को अंजाम दिया है. इसके बाद सीबीआई को पता चला कि अभी वह लखनऊ में रह रहा है. तब वहां से उसे हिरासत में ले लिया. घटनास्थल से मिले नमूनों और युवती के नाखून से मिले चमड़े के डीएनए राहुल के डीएनए से मेल कर गया. इसके बाद सीबीआई 22 मई 2019 को उसे लेकर रांची पहुंची.

महज 23 साल के राहुल ने घटना को अंजाम देने की जो कहानी सीबीआई को बतायी, वह बेहद डरावना और लोमहर्षक था. उसने बताया कि घटना से करीब तीन माह पहले सितंबर 2016 में वह बिहार के नालंदा से रांची आया था. उसने बूटी बस्ती में ठिकाना तलाशना शुरु किया. मुहल्ले में उसे कोई नहीं जानता था. वह पूरी तरह अनजान था. इसलिए किसी ने उसे कमरा नहीं दिया. तब कुछ लोगों ने उस पर तरस खाकर मुहल्ले के मंदिर के पीछे के एक कमरे में रहने की अनुमति दे दी. यह व्यवस्था तब तक के लिए थी, जब तक कि उसे किराये पर कमरा नहीं मिल जाता. लेकिन वह वहीं पर स्थायी रुप से रहने लगा था. इसी दौरान उसकी नजर युवती पर पड़ी. कॉलेज जाते और लौटते वक्त वह युवती का पीछा किया करता था. कई बार मुहल्ले के बच्चों से भी युवती के बारे में पूछताछ की थी. इस कारण मुहल्ले के कुछ लोगों ने उसे डांटा भी था. अक्सर वह पीछा करते हुए युवती के घर तक पहुंच जाता था. एक बार किराये पर कमरा लेने के लिए युवती के घर भी गया था, लेकिन उसे कमरा नहीं दिया गया. राहुल युवती पर नजर रखने लगा. उसके घर के आसपास घूमने लगा.

 

15 दिसंबर 2016 को उसे मौका मिला. उसे पता चला कि युवती घर में अकेली है. उसके माता-पिता बाहर गए हुए हैं. इसका पता चलने के बाद राहुल ने उसी रात अपने खतरनाक मंसूबे को पूरा करने की ठान ली. पूरा प्लान तैयार किया. रात में जब पूरा मुहल्ला सो रहा था, तब छत का एस्बेस्टस तोड़ कर वह युवती के घर में घुस गया. युवती के साथ वह जबरदस्ती करने लगा. युवती ने काफी देर तक उसका विरोध किया. राहुल को अपने नाखून से नोंचा. उसने हर वह कोशिश की, जिससे वह राहुल के चंगुल से बाहर निकल सके और अपनी इज्जत और जान बचा सके. लेकिन उसकी हर कोशिश बेकार साबित हुई. राहुल ने पहले उसके साथ दुष्कर्म किया. फिर गर्दन में तार लपेटकर उसकी हत्या कर दी. हत्या करने के बाद भी राहुल नहीं रूका. उसने उसके शरीर पर मोबिल छिड़क कर आग लगा दी. फिर वहां से फरार हो गया. सीबीआई ने राहुल को पकड़ने के बाद उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया. एक माह तक उसके खिलाफ स्पीडी ट्रायल चला. अदालत ने उसे दुष्कर्म और हत्या का दोषी माना. साथ ही उसके अपराध को रेयर ऑफ रेयरेस्ट माना. अदालत ने राहुल को मौत की सजा सुनायी. राहुल बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में सजा काट रहा है.

 

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