अध्यक्ष चुने जाने के तीन बाद ही सस्पेंड हुए संजय सिंह

कोलकाता : दबदबा तो था और दबदबा रहेगा- ये भगवान का दिया हुआ है। ये बोल बृजभूषण शरण सिंह के हैं। लेकिन अब इस दबदबे पर एक बड़ा प्रश्न लग गया है। क्यों ये हम आपको बताते हैं।

दरअसल, कुश्ती संघ के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सांसद और पूर्व कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के बेहद करीबी संजय सिंह चुनाव जीत गए हैं। इस जीत को बृज भूषण शरण सिंह ने ऐसे प्रचारित किया जैसे ये उनकी जीत हो। इसके बाद मीडिया में आकर बृजभूषण शरण सिंह ने बयान दिया था कि दबदबा तो है और रहेगा। उसी दिन साक्षी मलिक ने कुश्ती को त्याग दिया तो वहीं बजरंग ने पद्म श्री लौटा दिया।

लेकिन ताजपोशी के तीन दिन बाद ही संजय सिंह को निलंबित कर दिया गया है। नए कुश्ती संघ ने हाल ही में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप गोंडा में कराने का ऐलान किया था। खेल मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह फैसला ‘डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन किए बिना’ किया गया था। खेल मंत्रालय ने बयान में कहा, WFI के नवनिर्वाचित कार्यकारी निकाय द्वारा लिए गए फैसले WFI के प्रावधानों और नेशनल स्पोर्ट्स डेवलेपमेंट कोड का उल्लंघन हैं। ऐसे फैसले कार्यकारी समिति द्वारा लिए जाते हैं, जिसके समक्ष एजेंडे को विचार के लिए रखा जाना जरूरी होता है। इन फैसलों में नए अध्यक्ष की मनमानी दिखाई देती है, जो सिद्धांतों के खिलाफ है। एथलीटों, हितधारकों और जनता के बीच विश्वास बनाना अहम है।

खेल मंत्रालय ने कहा, ऐसा लगता है कि नया कुश्ती संघ खेल संहिता की पूरी तरह अनदेखी करते हुए पूरी तरह से पिछले पदाधिकारियों के नियंत्रण में है, जिनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे। इतना ही नहीं मंत्रालय ने कहा, फेडरेशन का कामकाज पूर्व पदाधिकारियों द्वारा नियंत्रित परिसर से चलाया जा रहा है। इस परिसर में खिलाड़ियों के कथित यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है और वर्तमान में कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रही है।

वहीं अपने निलंबन पर बयान देते हुए “मैं फ्लाइट में था। मुझे अभी तक कोई पत्र नहीं मिला है। पहले मुझे पत्र देखने दीजिए, उसके बाद ही मैं कोई टिप्पणी करूंगा।”

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