अनुभवी जीतू के संग फुटबॉल के गुर सीख रहे नन्हें भावी फुटबॉलर

वर्ष 2000 के दशक में फुटबॉल खेल के गलियारे में जब बेहतरीन गोलकीपिंग की बातें होती थी तो अनायास ही सबके जुबां से जीतू बारी का नाम सबसे पहले आता था।

चाईबासा : कहा जाता है कि किसी भी कार्य को अगर बचपन में ही अच्छे से सीख या समझ लिया जाए तो वह ताउम्र स्थायी रहता है। इसलिए हर समझदार इंसान अपने बच्चों को अच्छी चीजें बचपन से सिखाने का भरसक प्रयास करता है।इस कार्य में एक गुणवान प्रशिक्षक मिल जाए तो मानो सोने पे सुहागा।इसी बात को सार्थक साबित करने में जुटा है जिले के प्रख्यात फुटबॉलर जितेन्द्र उर्फ जीतू बारी। वर्ष 2000 के दशक में फुटबॉल खेल के गलियारे में जब बेहतरीन गोलकीपिंग की बातें होती थी तो अनायास ही सबके जुबां से जीतू बारी का नाम सबसे पहले आता था। अपनी जिंदगी में वर्ष 1998 से कोस्को कोचिंग सेंटर से फुटबॉल खेल के क्षेत्र में कदम रखने वाले जीतू वर्तमान में सिंहभूम स्पोर्ट्स एसोसिएशन मैदान में टाटा स्टील फाउंडेशन के सौजन्य से अंडर 10,12,और 14 आयु के बच्चों को फुटबॉल के बारीकियां सिखा रहे हैं।

 

खेल जीवन में जीतू ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बल पर कई व्यक्तिगत पुरस्कार भी अर्जित किया है :

जीतू के देखरेख में प्रशिक्षण में चाईबासा के आस-पास के गांवों के बच्चे जो विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थी हैं, सप्ताह में चार दिन सोमवार से शुक्रवार तक रोज सुबह और शाम शामिल होते हैं। प्रशिक्षण में बच्चों को फुटबॉल खेल के विधा एवं कौशल सिखाने के साथ -साथ स्टेमिना बढ़ाने के कई अभ्यास करायी जाती है। प्रतिष्ठित संतोष ट्रॉफी प्रतियोगिता के लिए तीन बार चयन कैंप में भाग चुके जीतू स्वयं जिला टीम का कई बार प्रतिनिधित्व किया है। खेल जीवन में जीतू ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बल पर कई व्यक्तिगत पुरस्कार भी अर्जित किया है। पश्चिमी सिंहभूम के टोंटो प्रखंड के बामेबासा में मखिन्द्र सिंह बारी और हीरामनी बारी के घर जन्मे जीतू टाटा कॉलेज का प्रतिनिधित्व कर अंतर कॉलेज प्रतियोगिता का नियमित गोलकीपर रहा है और अपनी बेहतरीन गोलकीपिंग के बदौलत टीम को विजेता बनाने का सौभाग्य प्राप्त किया है।

 

बच्चों को खेल से जोड़कर अनुशासन और खेल के प्रति रुचि पैदा करने में काफी संतोष का अनुभव हो रहा है :

वर्तमान में अगली पीढ़ी के फुटबॉलर बच्चों को सिखाते हुए कहता है कि आज की परिस्थिति में बच्चे गलत गतिविधियों में संलिप्त हो रहे हैं। जिसके कारण खेल और शिक्षा के प्रति बच्चे उदासीन हो रहे हैं। ऐसे में बच्चों को खेल से जोड़कर अनुशासन और खेल के प्रति रुचि पैदा करने में काफी संतोष का अनुभव हो रहा है। उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि बच्चे और अभिभावक खेल सीखने को काफी गंभीरता से ले रहे हैं। वर्तमान में कोच का ग्रासरुट ई एवं डी लाइसेंस प्राप्त जीतू बारी के प्रबंधन में जमशेदपुर में आयोजित गोल्डन बेबी लीग में अंडर-12 टीम को उपविजेता बनी और इनके देखरेख में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे मानकी पाड़ेया और लादुरा देवगम समेत चार जमशेदपुर फुटबॉल एकेडमी अंडर -13 टीम के लिए चयन किया गया। गोलकीपिंग के अलावा अग्रिम पंक्ति के फुटबॉलर के रूप में खास पहचान बनाने वाले जीतू को आशा है कि बचपन से फुटबॉल के गुर सीख रहे बच्चे भविष्य में बड़े प्रतियोगताओं में अपना जलवा बिखेरते अवश्य नजर आएंगे।