जितेंद्र तिवारी को हाईकोर्ट से मिली जमानत

- तीन शर्तों समेत 50 हजार रुपये के जुर्माना लगाकर दी गई जमानत

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कोलकाता : आसनसोल नगर निगम के पूर्व मेयर सह भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी को सशर्त जमानत मिल गई है। सोमवार को कोलकाता हाईकोर्ट ने उन्हें निजी तौर पर जमानत दे दी। हालांकि हाईकोर्ट के आदेश पर जितेंद्र तिवारी फिलहाल आसनसोल नहीं लौट पायेंगे। जानकारी के अनुसार जितेंद्र तिवारी पर पिछले दिसंबर में आसनसोल में आयोजित कंबल वितरण कार्यक्रम में हुए भगदड़ में मौत समेत कई संगिन आरोप लगे हैं। वहीं हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सोमवार को उनकी जमानत के लिए तीन शर्तों पर जमानत दे दी जिसमें उन्हें फिलहाल आसनसोल में प्रवेश नहीं करने, सप्ताह में एक दिन संबंधित थाना में उपस्थित होने और घटना के गवाह जिसके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है, उसे न धमकाने शामिल हैं।

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उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष 14 दिसंबर को आसनसोल नगर निगम के वॉर्ड नं. 27 की विरोधी दल की पार्षद और जितेंद्र तिवारी की पत्नी चैताली तिवारी द्वारा आयोजित एक धार्मिक समारोह के दौरान हुए कंबल वितरण कार्यक्रम में मची भगदड़ में तीन लोगों की मौत हो गई थी। वहीं इसी मामले में भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी को 18 मार्च को यूपी के नोएडा के यमुना एक्सप्रेस-वे से पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। गौरतलब है कि जितेंद्र तिवारी ने जमानत के लिये सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें उन्हें राहत दी गई थी। हालांकि भाजपा नेता को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से ठीक पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद जितेंद्र कुछ दिनों तक आसनसोल नॉर्थ थाना में पुलिस हिरासत में रहे और कई कानूनी दाव-पेंच के बाद उन्हें आसनसोल जेल का रास्ता दिखा दिया गया था। वहीं जेल में तबीयत बिगड़ने पर उन्हें आसनसोल जिला अस्पताल से बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल और फिर एसएसकेएम में भर्ती करवाया गया था जहां से उन्हें प्रेसीडेंसी जेल भज दिया गया।

जानकारी के अनुसार गिरफ्तारी के 22 दिनों के बाद सोमवार को न्यायमूर्ति जयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति पार्थसारथी सेन की खंडपीठ ने उन्हें तीन शर्तों समेत 50,000 रुपये के निजी तौर पर जमानत दी। बता दें कि जितेंद्र के वकील पीएस पटोवालिया ने भी पुलिस द्वारा नोएडा में गिरफ्तार किए जाने के बाद आसनसोल-दुर्गापुर कमिश्नरेट पुलिस के खिलाफ अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी। दो जजों की बेंच ने जितेंद्र के वकील को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था और इसी मामले की सुनवाई सोमवार को थी।