बिलकिस बानो के दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया

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नई दिल्लीः साल था 2022 गुजरात चुनाव मुहाने पर था। इसी दौरान गुजरात सरकार बड़ा फैसला करते हुए गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस के 11 आरोपियों को जेल में 15 साल गुजारने के साथ-साथ कैद के दौरान उनकी उम्र और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए उन्हें रिहा कर दिया गया।
गुजरात सरकार का ये फैसला राजनीति का बड़ा मुद्दा बना। संसद से लेकर सड़क तक सभी जगहों पर विपक्ष ने सरकार के फैसले को विरोध किया। विरोध इतना भारी था कि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। आज इसी क्रम में इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया। इतना ही नहीं SC ने कहा कि भौतिक तथ्यों को दबाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट से गुजरात राज्य को माफी पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की थी।

जस्टिस नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कहा कि अपराधियों को सजा इसलिए दी जाती है, ताकि भविष्य में अपराध रुकें। जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा कि अपराधी को सुधरने का मौका दिया जाता है. लेकिन पीड़िता की तकलीफ का भी एहसास होना चाहिए। SC ने कहा, हमने कानूनी लिहाज से मामले को परखा है। पीड़िता की याचिका को हमने सुनवाई योग्य माना है। इसी मामले में जो जनहित याचिकाएं दाखिल हुई हैं, हम उनके सुनवाई योग्य होने या न होने पर टिप्पणी नहीं कर रहे। SC ने कहा, जिस राज्य में आरोपियों को सजा मिली, उसे ही रिहाई पर फैसला लेना चाहिए था। दोषियों को महाराष्ट्र में सजा मिली थी। इस आधार पर रिहाई का आदेश निरस्त हो जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारा मानना ​​है कि इन दोषियों को स्वतंत्रता से वंचित करना उचित है। एक बार उन्हें दोषी ठहराए जाने और जेल में डाल दिए जाने के बाद उन्होंने अपनी स्वतंत्रता का अधिकार खो दिया है। साथ ही, यदि वे दोबारा सजा में छूट चाहते हैं तो यह जरूरी है कि उन्हें जेल में रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को 2 हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा है।

अब सवाल उठ रहा है कि कि आखिर क्या हुआ था। तो मामला कुछ ऐसा है कि 2002 में गुजरात में दंगा हुआ था। इस दंगे में बिल्किस बानो के साथ बालात्कार किया गया और उनके परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया गया था। फिर मामाल कई सालों तक कोर्ट में चला और 11 दोषियों को सजा सुनाई गई।

दरअसल, 2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था। इसके बाद गुजरात में दंगे फैल गए थे। इन दंगों की चपेट में बिलकिस बानो का परिवार भी आ गया था। मार्च 2002 में भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ रेप किया था। तब बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं। इतना ही नहीं, भीड़ ने उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे।