रांची: अपने विभिन्न मांगों को लेकर धरना पर राज्य भर के स्वास्थ्य कर्मचारी बैठे हुए हैं। जिस वजह से विभिन्न जिलों के पीएचसी सीएचसी मेंस्वास्थ्य कार्यबाधित हैं. धरना पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों की एक ही मांग है कि उन्हें नियमित किया जाए।
अनुबंध पर बहाल एएनएम जीएनएम लैब टेक्नीशियन के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही वीणा देवी बताती हैं कि पिछले 15 वर्षों से वह सरकार के लिए सेवा दे रही हैं। ग्रामीण एवं सुदूर क्षेत्रों में सभी स्वास्थ्य योजनाओं को क्षेत्र के अंतिम लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।
उसके बावजूद राज्य सरकार उनके नियमितीकरण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। राज्य भर में करीब 13 हजार ऐसे स्वास्थ्यकर्मी हैं, जो अनुबंध पर बहाल हैं और सभी सदर अस्पताल से लेकर सीएचसी एवं पीएचसी में कार्यरत हैं।
प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि पिछले 15 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे लोग विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो गए तो वहीं कई के स्वास्थ्य भी खराब हो गए, लेकिन उन्हें किसी भी तरह का लाभ सरकारी स्तर पर नहीं मिल रहा है।
अपने नियमितीकरण को लेकर पूर्व में भी सरकार से आग्रह कर चुकी हैं, लेकिन सरकार के लोग इसको लेकर गंभीर नहीं है। एएनएम ममता कुमारी बताती हैं कि जब भी अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करती हैं तो उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया जाता है।
आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिलता है। इस बार राज्य भर के अनुबंध पर बहाल सभी स्वास्थ्यकर्मियों ने यह ठान लिया है कि जब तक सरकार उनकी बातों पर विचार नहीं करती है, तब तक वह विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे।
धरना प्रदर्शन में राज्य भर के एएनएम जीएनएम लैब टेक्नीशियन शामिल हुए हैं। प्रदर्शन पर बैठे अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि यदि सरकार इस बार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती हैतो 24 जनवरी से वह आमरण अनशन पर बैठेंगे और इसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकार होगी।
वहीं कर्मचारियों ने कहा कि जो स्वास्थ्य कर्मचारी स्थायीकरण के आधार पर बहाल हैं, उनके वेतन और अनुबंध पर बहाल कर्मचारियों के वेतन में आसमान और जमीन का अंतर है।
जबकि दोनों का काम बराबर है। कोरोना काल में भी सभी अनुबंध पर बहाल कर्मचारियों ने अपनी जान पर खेलकर और परिवार की चिंता किए बगैर स्वास्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई।
कोरोना काल में सरकार की योजनाओं को अंतिम लोगों तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया गया लेकिन उसके बावजूद सरकार अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों को लेकर गंभीर नहीं है।
आपको बता दें कि राज्य के सभी सीएचसी पीएचसी एवं ग्रामीण स्तर के अस्पतालों में करीब 50% से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी ही ऐसे हैं जो अनुबंध पर बहाल है और वह सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर अपनी सेवा दे रहे हैं।
ऐसे में यदि सभी अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारी प्रदर्शन पर बैठ गए हैं तो निश्चित रूप से ग्रामीण स्तर पर चल रहे अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था ठप हो रही है, जिसका खामियाजा कहीं ना कहीं आम मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
हालांकि रांची के सिविल सर्जन ने बताया कि जितने भी अनुबंध पर बहाल कर्मचारी हैं उनके जाने से अस्पतालों में काम पर असर जरूर पड़ा है लेकिन फिलहाल उनकी जगह पर जितने भी आउटसोर्स पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है।
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