पुणे : अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के दिवंगत अध्यक्ष नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले में फैसला आ गया है. पुणे सेशन कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. सचिन आंदुरे और शरद कालस्कर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. उन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. पांच आरोपियों में से 2 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है और 3 अन्य को बरी कर दिया गया है. पुख्ता सबूतों के अभाव में वीरेंद्र तावड़े, विक्रम भावे, संजीव पुनालेकर को बरी कर दिया गया है. वीरेंद्र तावड़े पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया.वकील संजीव पुनालेकर ने आरोपियों को हथियार नष्ट करने की सलाह दी थी, जबकि विक्रम भावे को पुख्ता सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था. अभियोजन पक्ष के वकीलों ने यह जानकारी मीडिया को दी. दोषी सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को हत्या के लिए आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी पाया गया. उन्हें दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 5 लाख का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना नहीं देने पर एक साल की अतिरिक्त सजा होगी.
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सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर ने नरेंद्र दाभोलकर पर गोली चलाई|यह दुखद है कि पुणे पुलिस और सीबीआई ने शुरू से ही इस मामले में अलग-अलग सिद्धांत सामने रखे हैं. जीवन भर अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चलाने वाले नरेंद्र दाभोलकर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके हत्यारों को खोजने के लिए प्लेंचेट का इस्तेमाल किया गया. दाभोलकर के वकील ने कहा कि वह फैसला मिलने के बाद अध्ययन करेंगे और निर्दोष पाए गए लोगों के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर करेंगे. दाभोलकर के परिवार ने फैसले पर संतोष जताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि वह ऊपरी अदालत में जायेंगे. बता दे कि 20 अगस्त 2013 को पुणे में ओंकारेश्वर मंदिर के पास महर्षि विट्ठल रामजी शिंदे ब्रिज पर. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी गई. सुबह करीब साढ़े सात बजे मोटरसाइकिल पर आये दो लोगों ने उन्हें नजदीक से गोली मार दी.