आपसी सहमति के अनुरूप शुक्रवार को जामा मस्जिद में नवाज़ पढ़ने आए सिर्फ़ 4 लोग

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पलामू : पलामू  के पनकी में महाशिवरात्रि के लिए तोरण निर्माण को लेकर बुधवार को भड़का सांप्रदायिक तनाव अब काबू में है। पलामू पुलिस-प्रशासन और मुस्लिम समुदाय के बीच हुए आपसी समझौते के मुताबिक शुक्रवार को जामा मस्जिद में सिर्फ चार लोगों ने नमाज अदा की है। हालांकि इस दौरान पुलिस-प्रशासन पूरी तरह अलर्ट रहा। उपायुक्त अंजनेयुलु डोड्डे और पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार सिन्हा को खुद भारी पुलिस बल के साथ मस्जिद के गेट पर तैनात देखा गया। इसके साथ ही पूरे पनकी पर ड्रोन कैमरे से नजर रखी जा रही थी। हालांकि शुक्रवार का दिन शांतिपूर्वक बीतने के बाद पुलिस-प्रशासन ने राहत की सांस ली है और अब महाशिवरात्रि की तैयारियों में जुट गया है। उधर, उपायुक्त ने कहा कि पनकी में स्थिति सामान्य है।

 

सभी दिशाएं लोग सहयोग कर रहे हैं। अभी दवा और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों की दुकानें खुली हैं। शनिवार को महाशिवरात्रि पूजा के बाद स्थिति की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद सभी दुकानों और बाजारों को खोलने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने बताया कि हिंदू पक्ष ने भी पुलिस-प्रशासन को आश्वासन दिया है कि पनकी स्थित राहवीर पहाड़ी मंदिर में महाशिवरात्रि के पूजन में मंदिर समिति के चार लोग और एक पुजारी ही शामिल होंगे। बता दें कि तोरणद्वार बनाए जाने के विरोध में बुधवार सुबह मस्जिद से पथराव किया गया।

 

क्या है पूरा मामला :

पनकी के राहेवीर पहाड़ी पर स्थित शिव मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि धूमधाम से मनाई जाती है। इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी को यानी की आज है। मंदिर समिति तैयारियों में जुटी थीं । इसे देखते हुए मंगलवार की शाम मस्जिद चौक पर तोरणद्वार बनाने के लिए मजदूर बांस के डंडे और कपड़ा लेकर पहुंचे। एक समुदाय के लोगों ने उन्हें रोक लिया। उन्होंने कहा कि यहां धार्मिक स्थल है, इसलिए तोरणद्वार नहीं बनने दिया जाएगा। इसी को लेकर विवाद हुआ था।

 

विवाद के बाद दूसरे समुदाय  के लोग लौट गए और बुधवार की सुबह फिर लोग तोरण बनाने पहुंचे। इसी दौरान दोनों पक्षों के लोग जमा हो गए। सूचना मिलने पर पनकी थाना प्रभारी रंजीत प्रसाद यादव पुलिस बल के साथ पहुंचे। दोनों पक्षों में बातचीत शुरू हो गई। इसी दौरान एक शख्स ने मंदिर समिति के एक सदस्य निरंजन सिंह के सिर पर डंडे से वार कर दिया। उसका सिर फट गया और मस्जिद चौक पुलिस के सामने युद्ध का मैदान बन गया।

 

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