बीरभूम : देउचा-पचमी में कोयला खनन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण और बेदखली को रोकने के लिए आदिवासियों ने राजभवन अभियान शुरू किया। खनन का विरोध कर रहे निवासियों ने सोमवार को मथुरापहाड़ी से यह अभियान की शुरू किया। बताया जा रहा है कि वे 14 अप्रैल को कोलकाता पहुंचेंगे और देउचा-पचमी के आदिवासी नेता राज्यपाल से मिलकर उन्हें मांग पत्र सौंपेंगे। उल्लेखनीय है कि देउचा-पचमी अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ओपन पिट कोयला खदान बनने जा रही है। देउचा-पचमी 3400 एकड़ भूमि को कवर करने वाले 1178 मिलियन हेक्टेयर कोयला ब्लॉक हैं।
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आधिकारिक अनुमान के मुताबिक, इस क्षेत्र के 12 गांवों में 4314 घरों में कम से कम 21 हजार लोग रहते हैं जिनमें से 3600 अनुसूचित जाति और 9034 अनुसूचित जनजाति के हैं। गौरतलब है कि देउचा-पचमी में राज्य सरकार 35 हजार करोड़ का निवेश करने जा रही है इसमें से 10 हजार करोड़ रुपये पुनर्वास पैकेज पर खर्च किए जाएंगे जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की थी। वहीं आदिवासियों का कहना कि इस खुले गड्ढे वाली खनन परियोजना में इतने लोगों को स्थानांतरित करना होगा। इसके अलावा पर्यावरण को भी इससे नुकसान होगा। जंगलों, आर्द्रभूमियों, चरागाहों आदि के विशाल क्षेत्रों को नष्ट कर दिया जाएगा। इसलिए व्यापक पैमाने में खनन का विरोध किया जा रहा है। देउचा-पचमी निवासियों का कहना है कि जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों का अधिकार है। अवैध भूमि अधिग्रहण व बेदखली तत्काल बंद किया जाना चाहिए। वहीं इसी दिन आदिवासियों ने सिउड़ी में जिलाधिकारी के कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया।