रांची: झारखंड स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर बीते 2 दिनों से राज्य के अधिवक्ताओं का कार्य बहिष्कार 10 जनवरी तक जारी रहेगा। 10 जनवरी को स्टेट बार काउंसिल की शाम में फिर बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
काउंसिल के सदस्य संजय विद्रोही ओर एके रसीदी ने बताया की मंगलवार तक राज्य के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से दूर रहेंगे। उन्होंने बताया कि बैठक में कहा गया कि मुख्यमंत्री द्वारा अधिवक्ताओं के हित को लेकर एकपक्षीय घोषणा की गई है।
यह घोषणा सैद्धांतिक रूप से लागू की जाए मुख्यमंत्री द्वारा संवाद में की गई घोषणाओं के बारे में किसी तरह की कोई जानकारी स्टेट बार काउंसिल को नहीं है, यह सिर्फ समाचार पत्रों में ही दिख रहा है।
मुख्यमंत्री द्वारा एक निर्धारित समय सीमा में इन घोषणाओं को लागू करने का समय दिया जाना चाहिए था, ताकि अधिवक्ता उनकी घोषणाओं पर विश्वास कर सकें। बैठक में काउंसिल के सदस्य राम शुभग सिंह, महेश तिवारी, एके चतुर्वेदी, निलेश कुमार, महाधिवक्ता राजीव रंजन उपस्थित नहीं हुए थे।
इससे पहले 6 एवं 7 जनवरी को कार्य बहिष्कार के बाद रविवार को स्टेट बार काउंसिल की बैठक रांची में राज्य के जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि अधिवक्ताओं के कल्याण को देखते हुए 10 जनवरी तक न्यायिक कार्य में अधिवक्ता दूर रहेंगे। कोर्ट फीस वापसी को लेकर सरकार पर दबाव बनाने का निर्णय लिया गया।
कहा गया कि विधानसभा से पारित कोर्ट फीस संशोधन विधेयक को सरकार को हर हाल में वापस लेना होगा। बैठक में काफी गहमागहमी का माहौल रहा। एसोसिएशन के कई पदाधिकारियों एवं काउंसिल के सदस्यों ने कार्य बहिष्कार के दौरान कई अधिवक्ताओं द्वारा न्यायिक कार्य में भाग लेने वालों पर कार्रवाई की मांग की।
इस पर काउंसिल की ओर से बताया गया कि ऐसे अधिवक्ताओं को चिन्हित किया जा रहा है। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। वहीं कई अधिवक्ताओं द्वारा मुख्यमंत्री के संवाद कार्यक्रम में शामिल होने पर भी सवाल उठाए गए और उन पर कार्रवाई की मांग की गई।
वहीं दूसरी ओर कई पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार ने संवाद कार्यक्रम में अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए कई घोषणाएं की हैं। इस पर कहा गया कि यह घोषणा एकपक्षीय है काउंसिल को कोई इसकी जानकारी नहीं है।
पदाधिकारियों द्वारा कहा गया कि यह मुख्यमंत्री के साथ संवाद कार्यक्रम केवल सरकारी अधिवक्ताओं के लिए था। वहीं, काउंसिल के कुछ सदस्यों द्वारा बताया गया कि सरकार ने घोषणा की है कि वकीलों को 5 लाख का सपरिवार दुर्घटना व स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलेगा।
साथ ही सेवानिवृत्त अधिवक्ताओं को बार काउंसिल जितना पैशन देती है उतनी ही राशि सरकार भी कोष में देगी। अधिवक्ता सुरक्षा कानून पर भी सरकार विचार कर रही है. जिस पर कहा गया कि सरकार अपनी घोषणाओं पर कितना संजीदा है इसकी जानकारी स्टेट बार काउंसिल और नहीं है।
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