मोदी सरकार का अग्निपथ

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एक ओर कांग्रेस के युवराज कहे जाने वाले राहुल गांधी लगातार भारत जोड़ने की यात्रा कर रहे हैं, तो दूसरी ओर केंद्र में शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता इस बात का दावा कर रहे हैं कि मोदी के जमाने में ही देश तरक्की कर रहा है।

सरकार की बहादुरी के किस्से इस तरह गढ़े जा रहे हैं जैसे भारत में कोई समस्या ही नहीं हो लेकिन भाजपा तथा खुद शायद पीएम मोदी को भी पता है कि पूरे देश में भाजपा के विजय रथ को रोकने की ताकत केवल कांग्रेस में है।

और शायद इसीलिये बार-बार कांग्रेस मुक्त भारत की बात हो रही है लेकिन कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वाले लोग अपने गिरेबान में झांकें तो पता चलेगा कि देश की जनता केवल मंदिर-मस्जिद के नाम पर बहुत दिनों तक खामोश नहीं रह सकती। उसे तरक्की चाहिये, रोजगार चाहिए।

कभी राम-रोटी और इंसाफ का नारा दे चुकी भाजपा आज शायद रोटी को गौण मान बैठी थी लेकिन 2024 के आम चुनाव से पहले वह भी इस बात को समझ रही है कि रोटी के मसले को इतनी आसानी से झुठलाया या नजरंदाज नहीं किया जा सकता।

और यही वजह है कि हिमाचल विधानसभा के चुनाव से पहले भाजपा ने फिर से रोटी की वकालत की है। अलबत्ता अंदाज जरूर बदल गया है। 2014 में जो पार्टी साल में दो करोड़ लोगों को नौकरी देने की बात करती थी, अब दस लाख लोगों को रोजगार देने की बात करने लगी है।

सवाल यह है कि सरकारी महकमे में नौकरियां हैं कहां। एनडीए की सरकार जिस तेजी से सार्वजनिक क्षेत्र को निजी कंपनियों के हवाले कर रही है, उसमें सरकारी नौकरियों की जगह कहां है। सरकारी क्षेत्र में नौकरियों के अभाव के अलावा जो लोग फिलहाल सरकारी महकमे में काम कर रहे हैं, उन्हें भी इस बात की चिंता सताए जा रही है कि पता नहीं सरकार कब उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दे।

ऐसे में केवल मोदी के करिश्मे के भरोसे यदि भाजपा या एनडीए के दूसरे घटक दल 2024 के लोकसभा चुनाव में जीतने की बात सोच रहे हैं तो शायद इस सोच को बदलना होगा। हिन्दी भाषी प्रदेशों में पहले ही सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर काफी विवाद हो चुका है।

एक सेना ही बची थी जिससे जुड़कर कुछ नौजवान अपने परिवार का भरण-पोषण किया करते थे। किंतु अग्निपथ योजना ने उस उम्मीद का भी गला घोंट दिया है। ऐसे में मोदी सरकार के लिए कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी नई-नई समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। तीसरी बार केंद्र में गद्दी का सपना संजोने वाली भाजपा के साथ ही केंद्र की एनडीए सरकार को भी राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का कोई वैकल्पिक समाधान खोजना होगा।

तेलंगाना में राहुल गांधी को मिल रहे अपार संमर्थन को केवल मजाकिया लहजे में नजरंदाज किया गया तो शायद भाजपा की राह 2024 में आसान नहीं होने वाली है।