असम के गुवाहाटी में स्थित मां कामाख्या के मंदिर को तंत्र साधना के लिए सबसे सिद्ध स्थान माना गया है। मां कामाख्या का यह मंदिर देश के उन प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है जहां कभी पौराणिक काल में सती के अंग गिरे थे। मान्यताओं के अनुसार देवी के इस सिद्ध धाम से कभी कोई खाली हाथ नहीं जाता है और माता सभी की कामनाओं को शीघ्र ही पूरा करती हैं। इसीलिये देवी को कामाख्या के नाम से पूजा जाता है। तमाम तरह के रहस्यों से भरे इस पावन धाम में इस साल अंबुवाची पर्व कब मनाया जाएगा और क्या है इसका धार्मिक महत्व है, आइये हम इसे विस्तार से जानते हैं।
बता दें कि मां कामाख्या के इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है, कारण यहां पर उनके योनि की पूजा होती है। कहा जाता है कि इसकी खास बात यह कि हर साल जून के महीने में देवी मासिक चक्र में होती हैं और इसी दौरान मनाया जाता है अंबुवाची पर्व जिसमें तीन दिनों तक माता के मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए बंद कर दिये जाते हैं। बता दें कि इस साल अंबुवाची मेला 22 जून से लेकर 26 जून तक रहेगा। देवी के रजस्वला होने के दौरान मंदिर तीन दिनों तक बंद रहता है और इसके बाद चौथे दिन भक्तों को माता के दर्शन की अनुमति मिलती है। अंबुवाची पर्व में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां पहुंचते हैं।
अंबुवाची पर्व पर आने वाले बड़ी संख्या में भक्तों और साधुओं को माता के मंदिर में प्रसाद स्वरूप लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है। इससे पहले जब देवी रजस्वला होती हैं तो देवी स्थान पर सफेद रंग का कपड़ा बिछा दिया जाता है जिसे तीन दिन बाद वहां से उठाया जाता है। वह लाल रंग से भीगा होता है। इसी गीले कपड़े को अंबुवाची वस्त्र कहते हैं। उसे भक्तों को प्रसाद स्वरूप दिया जाता है।