हावड़ा, सूत्रकार : दिमाग में अमीबा। ये कोई कहानी नहीं है, बल्कि हावड़ा के रहने वाले 40 साल के एक शख्स के ब्रेन में पाया गया। वह करीब एक महीने से एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती था। यहां के डॉक्टरों ने उसके ब्रेन की सर्जरी करने के बाद उसकी जान बचा ली, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। अभी वह बांगर (बांगुड़) इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी के मेडिसिन विभाग में भर्ती हैं। वह डॉक्टरों की निगरानी में है।
मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. अल्केश पात्रा ने बताया कि नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा इस मरीज के मस्तिष्क को खा रहा था। वह एक महीने से एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती था। उसका सीटी स्कैन किया गया तो इस बीमारी के बारे में पता चला। उसके रिपोर्ट में खून के निशान और अमीबा का एक अस्पष्ट रूप पाया गया। न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. अतनु दत्ता की देखरेख में उस मरीज की ब्रेन सर्जरी की गई। सोमवार को उसे मेडिसिन विभाग में भेजा गया। फिलहाल वह डॉक्टरों की निगरानी में हैं। फिलहाल स्थिति स्थिर है, लेकिन खतरा टला नहीं है।
डॉक्टरों के मुताबिक, पिछले छह माह में पीजी अस्पताल में ऐसे लक्षण वाले दो मरीजों को भर्ती कराया गया है। दोनों स्वस्थ हैं। चिकित्सक के मुताबिक यह शख्स नियमित रूप से स्विमिंग क्लब या तालाबों में तैरता नहीं था। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वह कैसे संक्रमित हुआ। सीटी स्कैन से पता चला कि उसके कान के अंदर रिसाव हो गया है। दिमाग में मवाद पड़ गया था। उसका इलाज किया गया है। यदि आवश्यक हुआ तो सीटी स्कैन दोबारा किया जा सकता है।
मस्तिष्क में अमीबा का घोंसला बनाना असामान्य है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह एककोशिकीय जीव इंसान के नाक या कान से प्रवेश करता है और सीधे मस्तिष्क में बस जाता है। मस्तिष्क की सारी नस और रक्त धीरे-धीरे खाने लगता है। लक्षण 2-15 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं, क्योंकि तब तक परजीवी मस्तिष्क के अंदर खाना शुरू कर चुका होता है। प्रभावित व्यक्ति चेतना खो देता है।
अमीबा शरीर में कैसे प्रवेश करता है?
जो लोग स्विमिंग पूल, नदियों या तालाबों में लंबे समय तक तैरते हैं, वे इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। लेकिन यहां दूसरा मामला है। इस मामले में चालीस साल के इस युवक ने स्विमिंग पूल या तालाब में नहीं नहाया। इसके बाद वह भी मेनिनजाइटिस के लक्षण लेकर अस्पताल में भर्ती हुआ।
क्या है अमीबा
(एमीबियासिस) अमीबियासिस बड़ी आंत और कभी-कभी लिवर और अन्य अंगों का संक्रमण है जो एकल-कोशिका वाले प्रोटोज़ोआ परजीवी अमीबा एंटाअमीबा हिस्टोलिटिका के कारण होता है। अमीबा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या भोजन या पानी के माध्यम से फैल सकता है।