Ashish Mishra Bail: SC ने लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा को दी सशर्त जमानत

आशीष को 8 हफ्ते के लिए रिहा

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सशर्त अंतरिम जमानत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के आरोपी 4 किसानों को भी अंतरिम ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने आशीष मिश्र को शर्तों के साथ जमानत देते हुए निर्देश दिया कि फिलहाल आशीष को 8 हफ्ते के लिए रिहा किया जा रहा है लेकिन शर्तों के उल्लंघन पर ज़मानत रद्द हो सकती है।

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आशीष को रिहाई के एक हफ्ते के भीतर उत्तर प्रदेश छोड़ना होगा। वह फिलहाल दिल्ली में भी नहीं रह सकता। अब इस मामले पर 14 मार्च को फिर सुनवाई होगी। उस दिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज (बुधवार को) दिए आदेश कि समीक्षा की जाएगी।

क्या है मामला  ? 

उल्लेखनीय है कि 3 अक्टूबर 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में आंदोलनकारी किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाये जाने की घटना हुई थी।

घटना में और उसके बाद उग्र किसानों की तरफ से की गई आरोपियों की पिटाई में कुल 8 लोगों की जान गई थी। मामले का मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्रा उर्फ मोनू है।

घटना में 10 फरवरी, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया था लेकिन 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया था।

उसके बाद से वह जेल में है।0 अब सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ आशीष की जमानत का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में आशीष मिश्रा की ओर से दलील दी गई थी कि वह 1 साल से अधिक समय जेल में है। जबकि घटना में उसके शामिल होने का कोई पुख्ता सबूत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट को भेजी रिपोर्ट में लखीमपुर खीरी की निचली अदालत ने बताया था कि मामले का निपटारा होने में 5 साल तक का समय लग सकता है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आशीष को जमानत का संकेत देते हुए कहा था कि मामला खत्म होने तक किसी को जेल में बंद नहीं रखा जा सकता।

दुसरी ओर, मामले के शिकायतकर्ता किसान की तरफ से पेश वकील दुष्यंत दवे ने आशीष को जमानत दिए जाने का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि आशीष का परिवार बहुत प्रभावशाली है।

वह मामले को प्रभावित कर सकता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह घटना के बाद हुई हिंसा के मामले में गिरफ्तार 4 किसानों को लेकर भी चिंतित है और चाहता है कि उन्हें भी अंतरिम जमानत मिले।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्य कांत और जे.के. माहेश्वरी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता हर नागरिक का अधिकार है।

मामले लंबित होने के आधार पर किसी को जेल में बंद रखना सही नहीं है लेकिन साथ ही साथ न्यायाधिशों ने यह भी माना है कि शिकायतकर्ता पक्ष की तरफ से जताई गई आशंकाएं भी अपनी जगह पर सही मालूम पड़ती हैं। ऐसे में कोर्ट ने आशीष को 8 हफ्ते की अंतरिम जमानत देते हुए कई शर्तें लगाई हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने जहां यह साफ कर दिया है कि आशीष मिश्रा अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश या दिल्ली में नहीं रह सकता है। वहीं, उन्हें पुलिस को अपने पते की जानकारी देनी होगी। उसे थाने में नियमित रूप से रिपोर्ट करनी होगी।

अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा करवाना होगा ताकि उसके विदेश भाग जाने की आशंका न रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आशीष या उससे जुड़े लोग गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश न करें।

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि इस संवेदनशील मामले की निगरानी जरूरी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर की कोर्ट से नियमित रूप से मुकदमे की प्रगति रिपोर्ट अपने पास भेजते रहने को कहा है।

कोर्ट ने कहा कि 8 हफ्ते की अवधि पूरी होने के बाद 14 मार्च को वह आशीष को मिले अंतरिम जमानत के आदेश की समीक्षा करेगा। उसके बाद तय किया जाएगा कि जमानत आगे जारी रह सकती है या नहीं।

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