सागर यात्रियों में उत्साह लेकिन साधु दिखे मायूस

स्वयंसेवी संगठनों ने झोंकी ताकत, प्रशासन ने बढ़ाए मदद के हाथ

कोलकाता, अंकित कुमार सिन्हा/ संजय दे

सारे तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार- ये लाइनें गंगासागर यात्रा के लिए कही जाती हैं। ये यात्रा कुंभ और अर्धकुम्भ की तरह 12 और 6 साल में नहीं होती है बल्कि प्रत्येक वर्ष होती है। गंगासागर वही संगम स्थल है जहां पर गंगा (हुगली नदी) जाकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। ये यात्रा पौष मास में होती है इसलिए यहां पर हाड़ कंपाने वाली ठंड होती है। इसलिए इस यात्रा को सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक माना जाता है।

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कई लोग सीधे-सीधे सागर द्वीप पहुंचते हैं तो कई लोग पहले आउट्राम घाट आते हैं फिर वहां से बस, गाड़ी या फिर ट्रेन से सागरद्वीप पहुंचते हैं। आउट्रामघाट को गंगासागर जाने का पहला पड़ाव माना जाता है। प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर आते हैं, इसके बाद यहां आराम करके आगे की यात्रा की शुरूआत करते हैं। आउट्रामघाट में चिकित्सा से लेकर रहने की व्यवस्था तक सारे इंतजाम राज्य सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा की जाती है। यहां पर खाने-पीने के लिए, शौच के लिए और स्वास्थ्य के लिए सभी व्यवस्थाएं होती हैं। इन्हीं सब व्यवस्थाओं को और उसकी हकीकत जानने के लिए सूत्रकार समाचार की टीम आउट्रामघाट पहुंची और श्रद्धालुओं व साधु संतों से बात कर वहां के हालात का जायजा लिया।

खुश दिखे लोग

उत्तर प्रदेश के ऐटा से आए एक परिवार ने हमसे बात की तो वो आउट्रामघाट में सरकार की व्यवस्था से खुश दिखे। उन्होंने कहा कि सरकार और स्वयंसेवी संस्था की तरफ से खाने पीने की सभी प्रकार की व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई गई हैं । वहीं महिलाओं ने कहा कि यहां पर शौच की व्यवस्था और खाने-पीने और आराम करने की अच्छी व्यवस्था है।

हरियाणा से आए परिवार ने सूत्रकार की टीम से बात करते हुए कहा कि यहां पर अच्छी व्यवस्था है। उस ग्रुप में कई बुजुर्ग भी थे। वे लोग कोरोना को लेकर पूरी तरह सजग दिखे। वे मास्क और सेनिटाइजर दोनों चीजे साथ लिए हुए थे। खाने-पीने की व्यवस्था से वे भी खुश नजर आए ।

भारतीय किसान यूनियन यानी BKU का एक दल भी उत्तर प्रदेश के कानपुर से आया हुआ था । उस ग्रुप में सभी किसान ही थे। उस ग्रुप में महिलाएं, बुजुर्ग और युवा सभी लोगों का समागम था। उन्होंने राज्य सरकार की तारीफ की और वे भी व्यवस्था से खुश दिखे । बल्कि उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश के कुंभ मेले में भी इसी प्रकार की व्यवस्था हो।

नाराज दिखे साधु

असली नाराजगी साधु-संतों से बात करते हुए दिखी। वे सरकार से पूरी तरह से नाराज नजर आए । उन्होंने ममता बनर्जी सहित केंद्र सरकार पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से साधु संतों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ये जो व्यवस्था है वो पिछले साल से भी बदतर है। आगरा से आये एक 83 वर्षीय नागा साधु, जो पिछले 10 सालों से आ रहे हैं, वे इसबार की व्यवस्था से पूरी तरह से नाराज दिखे। वहीं उत्तराखंड के हरिद्वार से आए नागा साधु ने कहा कि सरकार पूरी तरह से फेल है। जिसके पास पैसा है उसके लिए व्यवस्था अच्छी है और हमारे जैसे लोगों के लिए खराब व्यवस्था है। उन्हीं में से एक साधु ने कहा कि सरकार आस्था की छाती में खंजर घोंप रही है ।

पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था

आउट्राघाट में सरकार की तरफ से सुरक्षा की अच्छी व्यवस्था कराई गई है। हर तरफ पुलिस का कैंप जहां पर पुलिस दल घोड़े और गाड़ी पर बैठकर लगातर गश्त कर रहा है। किसी को भी किसी प्रकार की समस्याएं आने पुलिस पूरी तरह से तत्पर दिख रही है और सभी लोगों की मदद में आगे नजर आ रही है।

कुंभ की तरह इसके लिए भी बने फंड

गंगासागर मेला कुंभ और अर्धकुंभ मेले से बिल्कुल अलग है। यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और इसमें ज्यादातर श्रद्धालु देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं। ये मेला प्रत्येक वर्ष लगता है। इनकी देखरेख की जिम्मेदारी पूरी तरह से राज्य सरकार की रहती है। इन्हीं सबको देखते मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से इसके लिए अलग से मांग की थी। उन्होंने कहा था कि कुंभ मेले के लिए तो केंद्र सरकार हजारों करोड़ में खर्च करती लेकिन गंगासागर मेले के लिए हमे पैसा नहीं देती है। यहां पहुंचे श्रद्धालु और स्वयंसेवी संस्थाएं भी राज्य सरकार की मांग के साथ सहमत दिखीं और केंद्र सरकार को इस मेले पर ध्यान लगाने के लिए कहा ।

मेले में 30 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल गंगासागर मेले में करीब 30 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। इसको देखते हुए बंगाल सरकार ने सभी आवश्यक तैयारियां की हैं। लोगों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए लगभग 1100 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

पांच लाख रुपये का बीमा

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेले की तैयारियों की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि गंगासागर में तीन हेलीपैड का उद्घाटन किया गया है और मूड़ीगंगा पुल के लिए डिटेल रिपोर्ट प्रोजेक्ट (डीआरपी) तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि मेले में आठ से 17 जनवरी के बीच कोई अप्रिय घटना होने पर पांच लाख रुपये का बीमा प्रदान किया जाएगा।

सेना का पूरा सहयोग

ज्ञात रहे कि सागर के यात्रिय़ों के लिए हर साल आउटराम घाट पर लगने वाले शिविर सेना की जमीन पर ही लगाए जाते हैं। इन शिविरों की पहले से इजाजत लेनी पड़ती है। एक शिविर के आयोजक ने इस बारे में बातचीत के दौरान कहा कि यह काफी लंबी परंपरा रही है। हालांकि राज्य सरकार और पुलिस की इजाजत से ही शिविरों का आयोजन किया जाता है मगर सेना की मदद के बगैर ऐसा संभव नहीं हो सकता। कुल मिलाकर राज्य सरकार, स्वयंसेवी संगठन, पुलिस तथा स्थानीय लोगों का अनोखा संगम सागर तीर्थयात्रा से पहले श्रद्धालुओं के इस अल्प विराम को काफी मोहक बना देता है। यह क्रम पुण्यस्नान से दो दिन पहले तक आउटराम घाट पर चलता रहेगा और इन शिविरों की रौनक लगातार बढ़ती जाएगी।

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