सागरदीघी में कांग्रेस की आंधी में उड़ी तृणमूल

पंचायत चुनाव के सेमीफाइनल में टीएमसी की हार

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कोलकाता : बंगाल में अगले कुछ महीनों में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस ने एक दशक तक तृणमूल के कब्जे में रही सागरदीघी विधानसभा सीट उनसे छीन ली है। इस सीट पर सोमवार को चुनाव हुआ था और गुरुवार को मतगणना हुई।

गुरुवार को घोषित हुए सागरदीघी विधानसभा उपचुनाव के नतीजे में कांग्रेस प्रत्याशी बायरन बिश्वास ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तृणमूल के देवाशीष बंद्योपाध्याय को 22,980 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया है।

गौरतलब है कि 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी प्रत्याशी जीत नहीं पाया था। कांग्रेस ने वाममोर्चा के साथ मिलकर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था।

सागरदीघी विस उपचुनाव में कांग्रेस का वाममोर्चा के साथ आधिकारिक तौर पर कोई गठबंधन नहीं हुआ था लेकिन बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के अनुरोध पर वाममोर्चा ने यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था और कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन किया था। यह सीट राज्य के पूर्व मंत्री सुब्रत साहा के आकस्मिक निधन से रिक्त हुई थी।

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बता दें कि बायरन बिश्वास को कुल 85,381 वोट मिले जबकि देवाशीष की झोली में 62,953 वोट आए। वहीं 2021 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर दूसरे स्थान पर रही भाजपा को 25,484 वोट से संतोष करना पड़ा और वह लुढ़ककर तीसरे स्थान पर आ गई है।

इस जीत के साथ कांग्रेस ने विधानसभा में फिर से इंट्री कर ली है। गौरतलब है कि तृणमूल के दिवंगत सुब्रत साहा ने पिछली विधानसभा में सागरदीघी से करीब 50,000 मतों से जीत हासिल की थी।

महज 2 साल में पार्टी कैसे उस सीट पर करीब 23 हजार वोटों से हार गई। अब यह बात तृणमूल खेमे में चर्चे का विषय बनी हुई है।

सीएम ममता बनर्जी और उनके भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी दोनों ने सागरदीघी में जमकर चुनाव प्रचार किया था। इस हार के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात पर चर्चा हो रही है कि क्या टीएमसी पर नहीं रहा मुसलमानों को विश्वास? क्या अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस-सीपीआईएम गठबंधन की ओर स्थानांतरित हो गए हैं क्योंकि सागरदीघी में लगभग 63 प्रतिशत अल्पसंख्यक वोट हैं।

2021 के विधानसभा चुनावों में यह सीट टीएमसी के सुब्रत साहा ने जीती थी। सुब्रत वहां से तीसरी बार जीते थे और उन्हें राज्य का मंत्री बनाया गया था।

2011 में, वह मुर्शिदाबाद जिले से एकमात्र तृणमूल विजेता थे। इसके बाद उन्होंने 2016 और 2021 में जीत हासिल की थी।