तस्वीरों में महात्माओं की तुलना में नेताओं की छवि क्यों होती है बड़ी !

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कोलकाताः स्वामी विवेकानंद की 161वीं जयंती पर सत्तारूढ़ से लेकर विपक्ष की राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तरह से राजनीतिक छवि बनाने की कोशिश की।

गुरुवार को राजधानी कोलकाता से लेकर पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में राजनीतिक पार्टियों ने भी स्वामी विवेकानंद की जयंती मनायी। राजनीतिक नेताओं ने कोलकाता के सिमला स्ट्रीट स्थिति स्वामीजी के आवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस मौके पर स्वामीजी के बहाने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से लेकर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक-दूसरे पर हल्ला भी बोला। लेकिन इसी बीच, विभिन्न जगहों पर स्वामीजी जैसे मनीषियों के नाम पर लगाये गये होर्डिंग और पोस्टर में राजनीतिक नेताओं की छवि भी देखी गयी।

इन पोस्टरों या बैनरों में स्वामीजी हों या अन्य कोई मनीषी उनकी तस्वीर में राजनीतिक नेताओं की छवि तपस्वी-मनीषियों की तस्वीर की तुलना में बड़ी ही दिखाई पड़ती है।

ऐसे पोस्टर देखकर आम जन में यह सवाल जरूर उठ सकता है, ये मनीषी बड़े होते हैं या राजनीतिक नेतागण ?

यह सवाल गुरुवार को स्वामी विवेकानंद की जयंती फिर बड़ा होकर सामने आया। इस दिन बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी स्वामीजी की जयंती पर उनके आवास पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

वहां उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा, मैं जब स्वामीजी की जन्मभूमि पर आ रहा था, तब रास्ते में देखा कि कार्बाइड से लिपटे एक नेता को स्वामीजी से बड़ा दिखाया जा रहा है।

यह संस्कृति अच्छी नहीं है। शुभेंदु ने नाम नहीं लिया। लेकिन ‘कार्बाइड से लिपटे नेता’ से उनका मतलब टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से ही था।

शुभेंदु ने दावा कि उन्होंने कोलकाता शहर की सड़कों पर स्वामीजी को श्रद्धांजलि देने वाले होर्डिंग देखे हैं, जिनमें स्वामीजी की तुलना में अभिषेक की तस्वीर बड़ी है।

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार के लिए अक्सर बंगाल आया करते थे। एक बार अमित शाह ने बोलपुर का दौरा किया था। शाह की यात्रा के अवसर पर रवींद्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष होर्डिंग बनाया गया था।

होर्डिंग में रवींद्रनाथ के एक रेखाचित्र का इस्तेमाल किया गया था। लेकिन होर्डिंग में इस रेखाचित्र की तुलना में अमित शाह की तस्वीर बड़ी थी।

अमित की तस्वीर के नीचे रवींद्रनाथ के छोटे रेखाचित्र का इस्तेमाल किया गया था। उस होर्डिंग के नीचे बोलपुर से बीजेपी के पूर्व सांसद अनुपम हाजरा की फोटो थी। इस होर्डिंग के चलते केंद्रीय गृह मंत्री की जमकर आलोचना की गयी थी। टीएमसी ने भी बीजेपी नेतृत्व की आलोचना की की थी।

उसके बाद, समय-समय पर किसी मनीषी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के बहाने आम जन में अपनी छवि चमकाने की कोशिश नेतागण में देखी जा रही है।

इसके पीछे राजनीतिक वजह यह हो सकती है कि मनीषी तो सिर्फ निमित्त मात्र है। इसलिए पोस्टर या होर्डिंग में किसी मनीषी की तस्वीर के साथ नेतागण सिर्फ अपनी भी छवि लगाकर जनता से संपर्क मजबूत करना चाहते हैं।