साल 2024 में क्या भाजपा पर भारी पड़ेंगे नीतीश ?

राजनीतिक पंडित जातीय आंकड़ों से तौल रहे हैं

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स्निग्धा मित्र

रांचीः  बिहार के एक जनसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दिया हुआ बयान चर्चा का विषय बना हुआ है।

श्री कुमार ने कहा की साल 2024 के लोकसभा चुनाव में थर्ड फ्रन्ट नहीं, फर्स्ट फ्रन्ट में होगा महागठबंधन।

श्री कुमार के इस बयान को राजनीतिक पंडित जातीय आंकड़ों से तौल रहे हैं।

झारखंड-बिहार के राजनीतिक गलियारों की माने तो, देश में कुर्मी जाति की संख्या लगभग आठ प्रतिशत है, जो आरक्षण को लेकर आंदोलनरत है।

इस आंदोलन से इन्हें लाभ मिलेगा या नहीं ये भविष्य के कोख में है। लेकिन इतना तय है की इस आंदोलन से कुर्मी जाति में एकजुटता जरूर आयेगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसी जाति से आते हैं। अपने जाति में वर्चस्व बनाने के लिए उन्होंने झारखंड के खीरू महतो को राज्यसभा भेजकर अपने स्वजातियों के बीच घाक जमा ली है।

वैसे झारखंड में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो भी कुर्मी जाति से आते हैं । श्री महतो इस आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं।

श्री महतो के पार्टी के सांसद चन्द्र प्रकाश चौधरी दिल्ली में डेरा डाल इस आंदोलन को धार देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं ।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नये साथी राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमों लालू प्रसाद है, जिनका एकक्षत्र राज्य एकीकृत बिहार में जबरदस्त था। लालू प्रसाद जातीय घुव्रीकरण करने में माहिर है।

साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालू और नीतीश की जोड़ी कमाल की थी और इन्होंने साथ मिलकर कमल को खिलने से रोक दिया था। बाद में नीतीश ने पलटी मारी और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली।

देश में यादव के नेता कई हैं लेकिन इस जाति के बीच लालू प्रसाद का वर्चस्व वर्तमान में काफी बढ़ गया है। क्योंकि समाजवादी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव नहीं रहे। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चमक पहले जैसी रही नहीं।

इसलिए देश में यादव जाति के लोग लालू प्रसाद को अपना नेता मान रहे हैं। देश में यादवों की जनसंख्या लगभग चौदह प्रतिशत है।

बताया जाता है की देश में मुसलमानों की जनसंख्या लगभग चौदह प्रतिशत है, जो भाजपा से खफा रहता है। यह समुदाय पहले कांग्रेस को समर्थन देता था। लेकिन वर्तमान में भाजपा हटाओ अभियान में लगा है। नीतीश और लालू दोनों को यह समुदाय पसन्द करते हैं।

ऐसे में यदि नीतीश आगे आते है तो स्वभाविक रूप से इस समुदाय का झुकाव महागठबंधन की ओर होगा।

इस प्रकार कुर्मी आठ प्रतिशत, यादव चौदह प्रतिशत और मुसलमान चौदह प्रतिशत यानी कुल प्रतिशत 36 हुए। अब ये तो वक्त ही बताएगा की ऊट किस ओर करवट बदलता है।

 

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